- इंडिया नवोदय संस्था ने प्रस्तुत किए चौकाने वाले आंकड़े

- हर साल देशभर के 88 प्रतिशत स्कूलों में 3 से 5 प्रतिशत बढ़ता है किताबों का बोझ।

- यूपी में है सबसे बुरा हाल, स्कूल बना रहे हैं मोटे पैसे।

स्वाति भाटिया- आई एक्सक्लूजिव

Meerut। इंग्लिश मीडियम और पब्लिक स्कूलों के मोह ने बच्चों के कंधों पर स्कूल बैग्स का वजन बढ़ा दिया है। हालत यह है कि पब्लिक स्कूल हर साल नई किताबें और कॉपियों की संख्या बढ़ा रहे हैं। जिसका खामियाजा छोटे-छोटे बच्चों को उठाना पड़ता है। बीते दिनों इंडिया नवोदय ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए हैं। वो काफी हैरान करने वाले हैं। आंकड़ों के मुताबिक देशभर के 88 प्रतिशत स्कूलों में हर साल दो से पांच फीसदी बुक्स व कॉपी बढ़ाई जा रही हैं। दिलचस्प है कि एक ओर सरकार स्कूल बैग्स को कम करने के लिए कई अभियान चलाती है। बावजूद इसके, पब्लिक स्कूल मोटी कमाई के चलते हर साल स्कूल बैग्स में किताबों की संख्या को बढ़ा देते हैं।

सबसे ज्यादा मुनाफाखोरी

संस्था के चेयरमैन अनूप सिंह के मुताबिक देशभर की विभिन्न स्टेट में स्कूल बैग्स को लेकर सर्वे कराया गया, जिसमें यूपी देशभर में स्कूल बैग के बोझ को बढ़ाने में सबसे आगे है। वहीं दूसरे नंबर पर दिल्ली में है। इसके अलावा बिहार में भी स्कूल स्कूल बैग्स का बोझ बढ़ाने में पीछे नहीं हैं।

मुनाफे में लाखों का खेल

बैग का बोझ बच्चों को परेशान कर रहा है। तो वहीं स्कूलों के लिए मुनाफे का सौदा है। संस्था के अनुसार यूपी में हर साल स्कूलों को बैग के बोझ से लगभग पौने पांच लाख का मुनाफा होता है। वहीं दिल्ली में यह मुनाफा सवा चार लाख रुपए तक का है, तो वहीं बिहार में यह आंकड़ा तकरीबन साढ़े तीन लाख हो जाता है।

बिना नियम के बढ़ती बुक्स

स्कूल बैग्स में बढ़ती बुक्स के बारे में संस्था के चेयरमैन अनूप ने बताया कि पेरेंट्स से बातचीत में उन्हें पता चला है कि हर साल देशभर के 88 प्रतिशत स्कूलों में क्लास नर्सरी से लेकर फिफ्थ तक के बच्चों के बैग में 3 से 5 प्रतिशत बुक्स व कॉपी बढ़ाई जाती हैं। यूपी में तो बैग में बुक्स व कॉपी सहित वर्क बुक फाइल आदि हर साल बैग का बोझ पांच प्रतिशत बढ़ाया जाता है.वहीं दिल्ली व बिहार में बैग का हर साल 3 प्रतिशत बढ़ाया जाता है। पेरेंट्स के अनुसार अगर यूकेजी के एक बच्चे के बैग का बोझ चार किलो है, वहीं क्लास वन से थर्ड तक के बच्चे के बैग का बोझ इस साल छह किलो तक है।

बैठक में पेश किए आंकड़े

संस्था ने ये आंकड़े लखनऊ के तमाम शिक्षा अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में रखे। जिसके बाद से शिक्षा विभाग में हलचल बढ़ी है। फिलहाल अभी यूपी के हर जिले के अधिकारी को लिखित निर्देश भेजने की तैयारी चल रही है कि वो अपने जिलों के स्कूलों में बैग के बोझ को लेकर जांच पड़ताल करें।

वर्जन

हमारी संस्था के सदस्यों ने बैग के बोझ को लेकर सर्वे किया है। इस संबंध में संस्था ने लखनऊ बैठक में आंकड़े पेश किए थे। जिसमें ये आया कि 88 प्रतिशत स्कूल बैग का बोझ बढ़ा रहे हैं।

-विजय धामा, जिलाध्यक्ष, इंडिया नवोदय संस्था

एक्शन में आए अभिभावक

स्कूलों में हर साल बैग का बोझ बढ़ रहा है। लेकिन न तो कोई अधिकारी लगाम कसता है और न हीं स्कूलों को बच्चों की परवाह है।

-राजीव

शिक्षा का स्तर बेहतर करने के नाम पर बस्तों में बुक्स की संख्या हर साल बढ़ा दी जाती है। इसके अलावा जेब का बोझ बढ़ाने के लिए बाकी बुक्स भी बदल दी जाती है।

-देवेंद्र

पढ़ाई बहुत जरुरी है, लेकिन अगर पढ़ाई की आड़ में स्कूल अपने मुनाफे की सोच रहे हैं। तो वाकई गलत है।

-चारु

स्कूलों को बस अपनी कमाई से मतलब है, चाहे फिर बच्चों के कंधों की बात है या पेरेंट्स की जेब की। स्कूलों को इससे कोई मतलब नहीं है।

-विभा

क्या कहते हैं अधिकारी

स्कूलों को पहले भी कई बार विभिन्न बिंदुओं पर नोटिस भेजे जा चुके हैं। जब भी किसी कार्रवाई करने का समय आता है तो स्कूल बदले में स्टे ऑर्डर लेकर पहले तैयार रहते हैं।

-डॉ। महेंद्र देव, जेडी, शिक्षा विभाग

Posted By: Inextlive