इंग्लैंड में डेब्यू करने वाले ऋषभ पंत कभी लंगर से भरते थे पेट, जानें भारत के नए 'धोनी' के बारे में 5 बातें
कानपुर। इंग्लैंड के खिलाफ पिछले दो टेस्ट मैचों में बाहर बैठे युवा और होनहार बल्लेबाज ऋषभ पंत को आखिरकार डेब्यू का मौका मिल गया। तीसरे टेस्ट में वह मैदान पर उतरते ही भारत के 291वें टेस्ट क्रिकेटर बन गए। यही नहीं पंत ने अपने डेब्यू टेस्ट को यादगार बनाने के लिए कई रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए। रुड़की में जन्में ऋषभ पंत को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। ऋषभ पंत को ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर एडम गिलक्रिस्ट बहुत पसंद हैं और वहीं उन्हीं की तरह बनना चाहते हैं। गिलक्रिस्ट की तरह ही ऋषभ भी विकेटकीपिंग के अलावा बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हैं।
ऋषभ का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा। वह जहां रहते थे, वहां क्रिकेट कोचिंग के बड़े स्कूल नहीं थे। अपने सपनों को पूरा करने के लिए ऋषभ को क्रिकेट के गुर सीखने जरूरी थे। ऐसे में 12 साल का ऋषभ अपनी मां के साथ दिल्ली आ गया। अनजान शहर में न रहने का ठिकाना था, न ही कोई पहचान का। पंत के कोच रहे देवेंद्र शर्मा ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि, मां-बेटे मोती बाग के गुरुद्वारे में रहते थे। मां गुरुद्वारे में सेवा करती थी तो ऋषभ सोनेट क्लब में क्रिकेट सीखने जाते थे। रात का खाना मां-बेटे गुरुद्वारे में ही खाते थे। कई महीनों तक यही चलता रहा, बाद में उन्होंने एक किराए के कमरे का जुगाड़ किया और वहां रहने लगे।अंडर-19 वर्ल्डकप से चर्चा में आए2016 तक ऋषभ अंडर 14 और 16 खेला करते थे, उस वक्त उनको कोई नहीं जानता था। लेकिन पिछले साल खेले गए अंडर-19 वर्ल्डकप में इस युवा खिलाड़ी ने शानदार प्रदर्शन कर रातोंरात सुर्खियां बटोर लीं। पूरे टूर्नामेंट में ऋषभ ने 44.50 की औसत से 267 रन बनाए।
धोनी के बाद टीम इंडिया के अगले विकेटकीपर के तौर पर ऋषभ पंत को देखा जा रहा है। पंत का क्रिकेट करियर अभी शुरु हुआ है उन्होंने 4 इंटरनेशनल टी-20 मैच खेले हैं और अब टेस्ट खेलने का भी मौका मिल गया। धोनी टेस्ट से तो पहले ही संन्यास ले चुके हैं ऐसे में टीम मैनेजमेंट एक बेहतर विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश में है। पंत अगले कुछ मैचों में शानदार प्रदर्शन करते हैं तो वह टीम के स्थायी सदय बन सकते हैं।