2013 से भोपाल के बाल गृह में रह रहा पाकिस्तानी किशोर मुहम्मद रमजान अब अपने घर पाकिस्तान लौट सकता है। क्योंकि पाकिस्तान ने गीता को भारत पहुंचा दिया है तो तोहफे में उनका रमजान उन्हें सौंप दिया जायेगा।


गीता की तरह अनजाने में भारत आया था रमजान कराची की मूसा कॉलोनी में रहने वाले रमजान की मां का नाम रजिया और पिता का नाम ताजउल मुल्क है। माता-पिता का तलाक होने के बाद पिता रमजान को अपने साथ लेकर बांग्लादेश आ गया था। वहां उसने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां ने रमजान को परेशान करना शुरू  कर दिया, तो वह मां के पास कराची जाने के लिए घर से भाग निकला। लेकिन सरहद पर भटककर भारत की सीमा में आ गया। अगरतला, रांची, कोलकाता, दिल्ली होते हुए वर्ष 2013 में वह भोपाल आ गया। रेलवे पुलिस ने उसे पकडक़र चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया।  नई दुनिया में छपी खबर ने किया असर


शहर के बाल गृह में रह रहा 14 साल का रमजान अब कराची में रह रही अपनी मां के पास जाने को बेताब है। ‘नईदुनिया’ के 14 सितंबर के अंक में उसकी आपबीती प्रकाशित होने के बाद कुछ लोगों ने सोशल मीडिया की मदद से कराची में उसके परिवार को ढूंढ निकाला है। चाइल्ड लाइन भी उसे कराची पहुंचाने के लिए कोशिश में जुटी है। उधर पाकिस्तान में अंसार बर्नी ट्रस्ट ने भी वहां से पहल शुरू  कर दी है। फोन पर हुई मां से बात

फोन पर कराची में रह रही मां रजिया से बात होने के बाद से बालगृह में रह रहा रमजान बेचैन है। दरअसल 13 सितंबर को समाचार प्रकाशित होने के बाद भोपाल में पढ़ रहे कराची के एक छात्र ने सोशल मीडिया की मदद से उसका घर खोज निकाला। चाइल्ड लाइन की संचालक अर्चना सहाय ने पाकिस्तान के समाज कल्याण बोर्ड की मदद से रमजान की बात फोन पर उसकी मां से करवा दी। है अब जब गीता को हिंदुस्तासन को सौंप दिया गया है, तो बतौर रिर्टन गिफ्ट भारत सरकार ने भी रमजान को पाकिस्तान पहुंचाने की दिशा में काम करना प्रारंभी कर दिया है।

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Posted By: Molly Seth