अगर कैप्टन आगे बढक़र टीम को लीड करता है तो अन्य प्लेयर्स पर उसका पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ता है लेकिन अगर कैप्टन का अपना ही परफॉर्मेंस खराब हो तो टीम तो भी राम भरोसे ही है. यह कहावत इंडियन टीम पर बिल्कुल फिट बैठती है.

जिसे कई बार कैप्टन के खराब परफॉर्मेंस का खामियाजा भुगतना पड़ा है. इस कड़ी में मौजूदा कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी सबसे नया एग्जांपल हैं. अपने कॅरियर की सबसे खराब फॉर्म में चल रहे धोनी के लचर परफॉर्मेंस का असर पूरी टीम और उसके परफॉर्मेंस पर पड़ रहा है. इंग्लैंड के हाथों लगातार दो टेस्ट मैच गंवाने वाले इंडिया पर अब नंबर एक का पायदान गंवाने का खतरा मंडरा रहा है.

इंडिया की तरफ से दस से अधिक मैचों में कैप्टेंसी करने वाले प्लेयर्स में से मंसूर अली खां पटौदी और कुछ हद तक कपिल देव इस मामले में एक्सेप्शन माने जा सकते हैं, जिन्होंने उन मैचों में भी अच्छा परफॉर्मेंस किया, जिनमें उनकी कैप्टेंसी में इंडिया को हार मिली.

  हारे मैचों में कैप्टंस का परफॉर्मेंस

Posted By: Kushal Mishra