भारत में शुरू हुई है एक नई कॉमिक्स जिसकी 'सुपर हीरो' एक बलात्कार पीड़िता है. इस कॉमिक्स का मक़सद है यौन हिंसा की गंभीरता की ओर ध्यान खींचना.


हिंदू पौराणिक कहानियों से प्रेरित प्रिया शक्ति कॉमिक्स में सामूहिक बलात्कार पीड़िता प्रिया और हिन्दू देवी पार्वती की कहानी बुनी गई है.दोनों भारत में महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा के ख़िलाफ़ लड़ती हैं.पढ़ें लेख विस्तार सेप्रिया शक्ति कॉमिक्स को बनाने वालों में शामिल हैं भारतीय मूल के अमरीकी फ़िल्मकार राम देवीनेनी.उन्होंने बीबीसी को बताया कि उन्हें इस कॉमिक्स का विचार दिसंबर 2012 में आया था जब भारत में दिल्ली गैंग रेप के ख़िलाफ़ गुस्सा उबल रहा था.वो कहते हैं, "लड़कियों ने बताया कि बलात्कारी और उनके परिवार से उन्हें धमकियां भी मिली थीं. और तो और पुलिस ने भी उन्हें गंभीरता से नहीं लिया था."
कॉमिक्स में इस कटु सत्य को भी दिखाया गया है. इसमें जब प्रिया अपने मां-बाप को बलात्कार के बारे में बताती है तो उसे ही इसके लिए दोष दिया जाता है और घर से निकाल दिया जाता है.देवीनेनी बताते हैं कि प्रिया सामान्य भारतीय महिला और उसकी उम्मीदों की प्रतिनिधि है. वो कहते हैं, "वह किसी भी अन्य लड़के या लड़की की तरह है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं. लेकिन उसके बलात्कार के बाद उसके सारे सपने कुचल दिए जाते हैं."


कॉमिक्स में प्रिया हिंदू देवता युगल शिव और पार्वती की मदद से अपनी त्रासदी को एक अवसर में बदलने में कामयाब हो जाती है.देवीनेनी कहते हैं कि पूरी दुनिया में कोई भी इस कॉमिक्स की डिजिटल कॉपी मुफ़्त में निकाल सकता है. हिंदी और अंग्रेज़ी में इसकी छपी हुई प्रतियां इस महीने बाद में कॉमिक कॉन मुंबई में मिलने लगेंगी.वह कहते हैं, "हमारे संभावित पाठक 10-12 साल के बच्चों और नौजवान हैं. यह उनकी ज़िंदगी में एक बहुत महत्वपूर्ण समय होता है और हमारी कोशिश उनके साथ संवाद शुरू करने की है."भारत में हर 21 मिनट पर एक बलात्कार दर्ज होता है, लेकिन 2012 के दिल्ली सामूहिक बलात्कार को निर्णायक मामला माना जाता है.वह कहती हैं जिस भी चीज़ से बात शुरू हो सके वह अच्छी है. वो कहती हैं, "दुनिया में बहुत से बदलाव विचार से ही आए हैं. और यह एक रुचिकर विचार है- महिला सुपरहीरो आसानी से नहीं मिलतीं."जैसमीन पाठेजा ब्लैंक नॉइज़ प्रोजेक्ट की संस्थापक हैं जो एक अभियान चला रहा है जिसका नाम है, "मैं यह नहीं चाहती थी"- यहां 'यह' से अर्थ बलात्कार या यौन हिंसा से है.

इस प्रोजेक्ट के तहत यौन हिंसा की शिकार महिलाओं के कपड़ों का सार्वजनिक प्रदर्शन किया जाता है और उनकी ऑनलाइन गैलेरी बनाई जाती है. ताकि बलात्कार के बाद 'आरोप को खारिज करने और दोषी के पक्ष से दलील देने' वालों को जवाब दिया जा सके.जैसमीन के अनुसार सबसे बड़ा बदलाव तब आएगा, "जब लोग यह समझने लगेंगे कि यौन हिंसा को सही ठहराने की कोई वजह नहीं हो सकती- न महिलाओं के कपड़े, न उनके बाहर जाने का समय और न ही जगह."वो कहते हैं, "चित्रात्मक उपन्यास, कॉमिक्स, कहानी की किताबें, फ़िल्में- सभी इस मुद्दे में बहुत मददगार साबित हो सकते हैं."

Posted By: Satyendra Kumar Singh