कुछ साल पहले तक भारत में हम आप किसी भी निमंत्रण या भोज में जाए तो वहां खाने की प्लेट के रूप में मिलता था पत्तल। जी हां वही पत्‍तल जो पेड़ के पत्तों से बनता था पर जनाब अब तो हम मॉडर्न हो गए हैं। पत्तल को कूड़ा समझकर फेंक दिया है और प्लास्टिक और थर्माकोल में खाना खा कर रहे हैं लेकिन जनाब ये जर्मनी वाले तो कुछ ज्यादा ही होशियार निकले जो हमारी वाली देसी पत्तल को बनाकर देश विदेश में बेच रहे हैं और खूब कमाई कर रहे हैं।

भारत में करीब एक दशक पहले तक शादी विवाह को छोड़कर किसी भी सामूहिक भोज और भंडारे में पत्तलों पर ही खाना परोसा जाता था। एकदम नेचुरल और देसी इस प्लेट में सब्जी चावल चटनी खाने का अपना ही मजा था। पर अब लोग मॉडर्न हो रहे हैं तो उनकी प्लेट भला देसी कैसे रह सकती है। लोगों ने भी पत्तल को कूड़े वाली प्लेट बताकर हटा दिया और ले आए प्लास्टिक और थर्माकोल वाली स्टाइलिश प्लेट जिन्हें कहीं भी फेंकिए, गलने में उन्हें सैकड़ों साल लगते हैं। जबकि हमारी पुरानी पत्तलें पूरी तरह से नेचुरल थी और आसानी से गल जाने वाली थी।

 

अब यही हमारी पुरानी देसी प्लेट को जर्मनी में कुछ लोग नेचुरल लीफ प्लेट बताकर धुआंधार प्रोडक्शन कर रहे हैं और देश ही नहीं बाहर भी एक्सपोर्ट कर रहे हैं। हाल ही में जर्मनी में एक नया बिजनेस स्टार्टअप शुरु हुआ है जिसका नाम है लीफ रिपब्लिक। एनवायरमेंट फ्रेंडली इस देसी प्रोडक्ट को देखकर जर्मनी वाले तो हक्का बक्का रह गए। वह तो कह रहे हैं कि यह शानदार प्लेट है प्लास्टिक से मजबूत है, आराम से मिट्टी में मिल जाती है और बिना पेड़ काटे भी बन जाती है।

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अब तो भइया जर्मनी में हमारी देसी पत्तल कुछ ज्यादा ही पॉपुलर हो रही है। लीफ रिपब्लिक वालों ने तो बकायदा फैक्ट्री डालकर आधुनिक मशीनों से पत्तलों का धुआंधार प्रोडक्शन करना शुरू कर दिया है। पहले तो ये लोग देश में ही पत्तलें बेच रहे थे और अब तो विदेशी लोग भी जर्मनी की इस देशी टेक्नोलॉजी को पसंद करने लगे हैं। इस वीडियों में आप खुद देखें कि जर्मनी वालों हमारी देशी पत्तल का नया अवतार कैसे लॉन्च किया है।

 

 

 

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ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट पर जर्मनी की यह नेचुरल लीफ प्लेट ऊंची कीमत पर बिक रही है। पहले हमें लगा एक बार उनसे मंगा कर देखें कि आखिर उनकी प्लेट में ऐसा क्या है जो हमारे पत्तल में नहीं था। पर ऑनलाइन साइट पर उनकी पत्तल का रेट देख कर हवा खराब हो गई। पत्तल के एक पैक की कीमत थी है करीब 9 यूरो यानी कि इंडियन रुपए में लगभग 650 रुपए। अरे भईया इतनी कीमत में तो हम पत्तल की पूरी दुकान खरीद लेंगे, लेकिन पंगा यह है कि यहां लोगों को पत्तल देहाती प्लेट नजर आती है। इसमें खाना सर्व करना उनकी मॉडर्न लाइफस्टाइल को सूट नहीं करता। वैसे एक बात बता दें जर्मनी वाले हमसे ज्यादा मॉडर्न हैं...

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Posted By: Chandramohan Mishra