भारतीय हॉकी टीम इस समय निश्चित रूप से दबाव में है और एशिया कप जीतना इतना आसान भी नहीं है. लेकिन एशियाई टीमों की चुनौती है लिहाजा ऐसा भी नहीं कहा जा सकता है कि हम जीत ही नहीं सकते.


यूरोप की टीमें बेहद मज़बूत है. उनके मुक़ाबले एशियाई टीमों से निबटा जा सकता है. अब हमारा पूरा ध्यान ट्रेनिंग कैम्प में अपनी कमियों को दूर करना है.यह कहना है भारतीय हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह का जो इन दिनों बैंगलोर में 48 संभावित खिलाडियों के साथ अभ्यास शिविर में एशिया कप की तैयारियों में व्यस्त हैं.सरदार सिंह आगे कहते हैं, "हमारी टीम में दो-तीन ऐसे सीनियर खिलाड़ी है जिनके मन में आज भी बीजिंग ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई न कर पाने की कडवी यादें है. एशिया कप अगले साल होने वाले विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट में जगह बनाने का हमारे लिए आखिरी अवसर होगा, इसलिए यह टूर्नामेंट अब हमारे लिए करो या मरो जैसा है."बाहर होने का ख़तरा


दरअसल आठ बार के ओलिंपिक और एक बार के विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट विजेता भारत के सामने पहली बार विश्व कप हॉकी टूर्नामेंट में जगह न बना पाने का ख़तरा पैदा हो गया है, क्योंकि इससे पहले पिछले महीने हॉलैंड के रोटरडम शहर में आयोजित विश्व लीग राउंड तीन (सेमीफाइनल) में भारतीय हॉकी टीम का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा था और वह पहली तीन टीमों में अपनी जगह बनाने में नाकाम रहा.

अब आलम यह है कि भारत को अगले साल हॉलैंड में होने वाले विश्व कप में अपनी जगह बनाने के लिए अगले महीने मलेशिया के इपोह शहर में होने वाले एशिया कप हॉकी टूर्नामेंट को हर हाल में जीतना होगा. भारत को एशिया कप में पूल बी में कोरिया, बांग्लादेश और ओमान के साथ रखा गया है. वही पूल बी में पाकिस्तान, मलेशिया, जापान और चीनी ताइपै है.कोच को हटाया गयाभारतीय हॉकी को संचालित करने वाली संस्था हॉकी इंडिया भी भारतीय टीम के सामने आई इस अग्नि-परीक्षा से नावाकिफ नही है और उसने एक चौंकाने वाला फ़ैसला लेते हुए पिछले दिनों भारतीय हॉकी टीम के चीफ कोच माइकल नोब्स को हटा दिया. उनकी जगह साल 1980 में मॉस्को में हुए ओलिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे महाराज किशन कौशिक जिन्हे एम के कौशिक के नाम से ज़्यादा जाना जाता है को टीम का कोच बनाया गया है.कौशिक अपनी कोचिंग में भारत को 1998 में बैंकाक में आयोजित हुऐ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक दिला चुके है. सरदार सिंह उनके टीम से साथ जुड़ने को लेकर कहते है कि एम के कौशिक अनुभवी खिलाड़ी और कोच रह चुके है, निश्चित रूप से उनकी सलाह हमारे काम आएगी.

सरदार सिंह ने यह भी बताया कि माइकल नोब्स पिछले कुछ समय से स्वस्थ नही थे और उन्होने ख़ुद ही इच्छा जताई थी कि उन्हें आराम दिया जाए.वैसे सरदार सिंह का मानना है कि अभी तक जितने भी विदेशी और देसी कोचो के साथ उनका साथ रहा उनमें स्पेन के होजे ब्रासा और उनके सहायक के रूप में काम करने वाले हरेंद्र सिंह के साथ बिताया गया समय टीम के लिए बेहतर रहा.अब देखना है कि भारतीय टीम अगले महिने होने वाले एशिया कप को जीत पाती है या नही. यकीनन कप्तान सरदार सिंह के साथ-साथ हॉकी प्रेमी भी दबाव में है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh