Coronavirus Covid 19 Impact कोरोना वायरस को रोकने के खिलाफ मैदान में उतरी भारतीय रेलवे ने पीडितों के इलाज के लिए अपनी नाॅन एसी ट्रेन कोच को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर एक प्रोटोटाइप तैयार किया है। वहीं कोरोना की जानकारी के लिए उसने 139 के अलावा 138 नंबर के इस्तेमाल का फैसला किया है।

नई दिल्ली(पीटीआई)। Coronavirus Covid 19 Impact कोरोना वायरस के पीड़िताें की बढ़ती संख्या को देखते हुए भारतीय रेलवे उनके इलाज के लिए हर संभव प्रयास कर कर रहा है। एक ओर जहां नाॅन एसी ट्रेन कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील कर एक प्रोटोटाइप यानी कि प्रारूप तैयार किया है। वहीं दूसरी ओर लाॅकडाउन के दाैरान उसने अपनी व्यापक पहुंच को देखते हुए इंट्रैक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम 139 के अलावा 138 नंबर के इस्तेमाल का फैसला किया है। इस पर लोग कोरोना से जुड़ी जानकारी ले सकेंगे। रेलवे का कहना है कि अगले कुछ दिनों में सर्वोत्तम पहलों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद प्रत्येक रेलवे जोन हर हफ्ते 10 डिब्बों के साथ एक रैक का निर्माण करेगा।

इस तरह से नाॅन एसी ट्रेन कोच में इस तरह होगा आइसोलेशन वार्ड

इस संबंध में उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा कि फिर हम इनहैंडलैंड्स या जिन इलाकों को इन कोच की जरूरत होगी। वहां पर इनकी सेवा देंगे। रेलवे ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड बनाने के लिए कोच से मिडिल बर्थ को हटा दिया जाएगा। इसके अलावा निचल हिस्से को प्लाईवुड से भरा गया है और गैलरी की तरफ से डिवाइड किया जाएगा, ताकि कंपार्टमेंट अलग हो जाए। प्रत्येक कोच में 10 आइसोलेशन वार्ड होंगे। प्लग किए जाने वाले मेडिकल इक्यूपमेंट के लिए, रेलवे ने प्रत्येक कोच में में 220 वोल्ट के इंलेक्ट्रिक प्वाइंट दिए हैं।

कोच में परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, आईसीयू और पेंट्री जैसी सुविधा होगी

रेलवे ने बाहर से भी 415 वोल्ट की आपूर्ति का प्रावधान किया है। प्रत्येक कोच में चार शौचालय टॉयलेट में दो को बेहतर बाॅथरूम में कनवर्ट कर दिया गया है। प्रत्येक बाथरूम में एक हैंडशाॅवर, एक बाल्टी और एक मग होगा। प्रत्येक डिब्बे में चार बोतलें भी रख सकते हैं। मरीजों के लिए सिर्फ वार्ड ही नहीं, कोच में परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, आईसीयू और पेंट्री जैसी सुविधाएं भी होंगी। कुछ अन्य रेलवे जोन भी गैर-एसी कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने के लिए प्रयोग कर रहे हैं।

अन्य रेलवे जोन वेंटिलेटर, बेड और ट्रॉलियों के निर्माण के प्रयोग में जुटे

इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा कि गुवाहाटी के कामाख्या में एक आईसीएफ नॉन-एसी कोच के साथ प्रयास किया गया। कई रेलवे जोन में, उत्पादन इकाइयां आवश्यक वस्तुओं जैसे वेंटिलेटर, बेड और ट्रॉलियों के निर्माण के लिए प्रयोग कर रही हैं, दक्षिण मध्य रेलवे ने पहले ही अपने कार्यशालाओं और कोचिंग डिपोट में फेस मास्क, चौगा, तख्त और साइड-स्टूल का उत्पादन किया है।

Posted By: Shweta Mishra