रेलवे की स्वच्छता की मुहिम में गोपालकों के अच्छे दिन आने वाले हैं। दरअसल स्वच्छता के लिए रेलवे ट्रेनों के कोचों में बायो टॉयलेट लगा रहा है जो दिसंबर 2018 तक सभी ट्रेनों के कोचों में लगाए जाने हैं। इस बायो टॉयलेट टैंक में गाय के गोबर के इस्तेमाल से बनाया गया घोल डाला जा रहा है जिसे रेलवे अभी डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट इस्टेबलिशमेंट डीआरडीई ग्वालियर से 19 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीद रहा है। इसी के चलते गोपालकों की झोली भरने वाली है।


बायो टॉयलेट में पड़ती है गाय के गोबर की जरूरतबायो टॉयलेट में प्रयुक्त होने वाले घोल का नाम इनोकुलुम है। डीआरडीई इसे तैयार कर रेलवे को देता है। घोल को तैयार करने के लिए उसमें गाय का गोबर मिलाया जाता है। गोबर के कारण घोल में बैक्टीरिया जीवित रहते हैं साथ ही और बैक्टीरिया पैदा होते रहते हैं। 400 लीटर के टैंक में 120 लीटर घोल डाला जाता है। घोल से टैंक में जमा मल-मूत्र अलग हो जाता है। मल कार्बन डाइआक्साइड में तब्दील होकर हवा में उड़ जाता है और पानी को रिसाइकिल कर ट्रेनों की धुलाई की जाती है। सफर के दौरान अब ट्रेन में मिलेगा होटल का खाना, इन 5 तरीकों से कर सकते हैं ऑर्डरलगभग 44 हजार कोचों में लगेंगे बायो टॉयलेट
भारतीय रेलवे में लगभग 44 हजार कोचों में बायो टॉयलेट लगाने की योजना है। अभी तक 26 हजार कोच में एक लाख बायो टॉयलेट लगाए जा चुके हैं। इसमें उत्तर मध्य रेलवे के लिए 644 कोचों में 2023 बायो टॉयलेट लग चुके हैं। एनसीआर के 1397 कोच में करीब पांच हजार बायो टॉयलेट लगाए जाने हैं। उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी गौरव कृष्ण बंसल का कहना है कि 31 दिसंबर तक सभी कोचों में बायो टॉयलेट लगाने की योजना है। इस दिशा में तेजी से काम चल रहा है।Report by : रमेश यादव, इलाहाबादरेलवे ने दिया नये साल में गिफ्ट! अब बस की तरह चलती ट्रेन में बनवाइए टिकट, कार्ड से भी होगा पेमेंट

Posted By: Satyendra Kumar Singh