भारतीय वैज्ञानिकों ने जूट से बनाया सेनिटरी नैपकिन
जूट उद्योग को पुनर्जीवित करने में भी मददगार
पीरियड्स के दौरान स्वच्छता और गर्भाशय कैंसर के बीच संबंध को देखते हुए शोधकर्ताओं का मानना है कि यह उत्पाद महिलाओं को मासिक के दिनों में स्वच्छता रखने में सहायक होगा और साथ ही यह खत्म हो रहे जूट उद्योग को पुनर्जीवित करने में भी मददगार होगा। इस उत्पाद को जूट से प्राप्त रेशों से तैयार किया गया है और इसकी गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उच्च स्तरीय शोषक गुणों वाले पॉलिमर का भी इस्तेमाल किया गया है। एनजीबी के सचिव अरविंद कुमार ने मंगलवार को बताया कि हम इस पर परीक्षण कर रहे हैं। प्रारंभिक उत्पादन और उत्साहजनक प्रतिक्रिया के बाद हम इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर बढ़ाने की कोशिश करेंगे। आइआइटी खडग़पुर के वैज्ञानिक बी. अधिकारी की अगुवाई में इस परियोजना पर काम चल रहा है।
चाय की पैकिंग भी जूट बैग में
कॉफी और कहवा की पैकिंग में जूट के इस्तेमाल के बाद अब चाय की पैकिंग भी जूट बैग में की जाएगी। मंगलवार को कोलकाता में आयोजित टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया की वार्षिक बैठक में जूट आयुक्त सुब्रत गुप्ता ने कहा कि खाद्य ग्रेड पैकेजिंग सामग्री कॉफी व कहवा के लिए हमने पहले से ही जूट को विकसित कर लिया है। परंतु अब समय आ गया है कि जब चाय की पैकिंग के लिए हम जूट बैगों का ही इस्तेमाल करें। उन्होंने कहा कि जूट पैकेजिंग अधिनियम, 1987 के तहत 25 किलो व इससे ऊपर के वजन के खाद्यान्न और अन्य सामग्रियों की पैकिंग के लिए जूट बैग का उपयोग अनिवार्य है।