भारतीय नौसेना को जल्‍द ही देश की पहली न्‍यूक्लियर सबमरीन सौंप दी जाएगी। खास बात यह है कि सबमरीन का निमार्ण भारत में ही हुआ है। इस न्‍यूक्लियर सबमरीन पर तमाम टेस्‍ट करने के बाद सरकार ने इसे नेवी को सौंपने की मंजूरी दे दी है। भारत की पहली न्यूक्लियर आर्म्ड सबमरीन आईएनएस अरिहंत अब ऑपरेशन के लिए तैयार है। सरकार की मंजूरी के बाद जल्‍द ही इसे ऑफिशियली नेवी को सौंप दिया जाएगा। अरिहंत को अब तक दुनिया की नजरों से दूर रखा गया था । हाल ही में इसने तमाम टेस्ट कामयाबी के साथ पूरे किए।

डीप सी टेस्ट में की रूस ने मदद
पांच महीने से आईएनएस अरिहंत के टेस्ट लगातार जारी थे। भारत अरिहंत समेत पांच न्यूक्लियर सबमरीन तैयार कर रहा है। इनके टेस्ट विशाखापट्टनम में किए जा रहे हैं। यहीं पर इन सबमरीन्स को युद्ध जैसी किसी भी स्थिती से निपटने के लिए तैयार भी किया जा रहा है। अरिहंत के फाइनल टेस्ट के दौरान रूस की डाइविंग सपोर्ट शिप ने मदद की। एप्रॉन नाम की यह शिप 1 अक्टूबर से ही भारत में है। इसका इस्तेमाल जहाजों या सबमरीन्स के डूबने के हालत में उन्हें बाहर निकालने के लिए किया जाता है।

दुनियां की नजरों से छिप कर रही भारत की न्यूक्लियर सबमरीन

विशाखापट्टनम में पिछले दिनो इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू ऑर्गनाइज किया गया था। इसमें कई देशों की नेवी ने हिस्सा लिया था। नरेंद्र मोदी और प्रणब मुखर्जी भी इस फ्लीट को देखने आए थे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत ने इस प्रोग्राम में अरिहंत को इसलिए शामिल नहीं किया क्योंकि फॉरेन वॉर शिप्स में सेंसर और सर्विलांस डिवाइसेस मौजूद थीं। ये अरिहंत के फीचर्स को ट्रेस कर सकती थीं। नेवी इसके हर फीचर को बिल्कुल सीक्रेट रखना चाहती है।
दुश्मनों के लिए उनका अंत है अरिहंत सबमरीन
इस पर K-15 या बीओ-5 शॉर्ट रेंज के मिसाइलें तैनात हैं। ये 700 किलोमीटर तक टारगेट हिट कर उसका नामो निशान मिटा सकते हैं। अरहिंत K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों से भी लैस है। इनकी रेंज 3500 किलोमीटर तक है। यह 6 हजार टन वजनी न्यूक्लियर सबमरीन है। ऐसी ही दो और सबमरीन भारत तैयार कर रहा है। इससे पानी के अंदर और पानी की सतह से न्यूक्लियर मिसाइल दागी जा सकती है। पानी के अंदर से किसी एयरक्राफ्ट को भी यह निशाना बना सकती है।

अरिहंत सबमरीन नेवी को सौंपेगी मोदी सरकार

मोदी सरकार इस न्यूक्लियर सबमरीन को अगले महीने तक नेवी को सौंप सकती है। इसकी कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी सीटी नेवी को पहले ही अलग से दी जा चुकी है। अरिहंत क्लास की ही दो और सबमरीन तैयार की जा रही हैं। इन्हें भी बेहद सीक्रेट तरीके से तैयार किया जा रहा है। ये दो सबमरीन आईएनएस अरिहंत से कहीं ज्यादा बड़ी और एडवांस्ड होंगी। ईस्टर्न कोस्ट में काकीनाडा के नेवल बेस पर तैनाती के लिए आईएनएस वर्षा तैयार हो रहा है। मोदी सरकार नेवी के सबमरीन डिजाइन ब्यूरो को पिछले साल 90 हजार करोड़ का बजट दे चुकी है। इसके बाद न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन एसएसएन बनाने का काम तेज चल रहा है। 15 सालों में इस बजट से 6 न्यूक्लियर सबमरीन तैयार की जाएंगी।

इन देशों के पास भी है न्यूक्लियर सबमरीन

अमेरिका
यूएस नेवी की सबमरीन्स को दुनिया की सबसे खतरनाक वाटर मशीन कहा जाता है। अमेरिका की सबसे खतरनाक सबमरीन सी वोल्फ है। यह न्यूक्लियर हथियारों से लैस है। ये 1700 किमी की दूरी तक टारगेट हिट कर सकती है। बताया जाता है कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से ही अमेरिका ने पनडुब्बी का इस्तेमाल शुरू कर दिया था। आज अमेरिका के पास सबसे अधिक सबमरीन मौजूद हैं।
रूस
फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका के साथ रूस ने भी अपनी नेवी पावर बढ़ाई है। रूस के पास ग्रेनी और सिएरा जैसी कई सबमरीन हैं। ये न्यूक्लियर हथियारों से लैस हैं। सबमरीन से क्रूज मिसाइल लॉन्च करने की खास तकनीक भी सिर्फ रूस के पास ही है।
ब्रिटेन
अमेरिका और रूस के अलावा ब्रिटेन के पास भी न्यूक्लियर सबमरीन्स हैं। 2010 में ब्रिटेन ने एसटू क्लास नाम से न्यूक्लियर सबमरीन लॉन्च की थी। इस सबमरीन में 553 एमएम टारपीडो ट्यूब्स हैं। ये 1700 किमी तक पानी के भीतर और जमीन पर हमला कर सकती हैं।
चीन
अपनी नेवी पावर और मजबूत करने के लिए 1978 में चीन ने न्यूक्लियर सबमरीन बनाना शुरू किया। इसके बाद 1981 में चीन की पहली न्यूक्लियर सबमरीन लॉन्च हुई। चीन के पास टैंग क्लास, जिन क्लास और जिया क्लास की सबमरीन हैं। कहा जाता है कि चीन अपनी 20 परमाणु सबमरीन हमेशा तैनात रखता है।
फ्रांस
फ्रांस के पास बैराकुडा क्लास की न्यूक्लियर सबमरीन है। इससे पहले उनके पास रुबिस क्लास की सबमरीन्स थीं। इन्हें रिप्लेस कर बैराकुडा क्लास सबमरीन शामिल की गई। यह 1000 किमी तक हमला करने में सक्षम है।
आईएनएस अरिहंत न्यूक्लिर प्रोजेक्ट पर नजर

-1970 प्रोजेक्ट मंजूर किया गया।
-1984 डिजाइन और टेक्नोलॉजी फाइनल की गई। प्रोजेक्ट तैयार।
-1998 प्राइवेट सेक्टर की मदद से प्रोजेक्ट पर काम शुरू।
-2009 अरिहंत के बारे में पहली बार जानकारी दी गई।
-2013 फाइनल टेस्ट शुरू।
-2016 सभी टेस्ट कामयाब। नेवी में कमीशन के लिए तैयार।

Posted By: Prabha Punj Mishra