अबीर सेन गुप्ता की पहली फिल्म है इंदु की जवानी। इन दिनों डेटिंग एप पर मिलते हैं और प्यार के गुलशन खिलते हैं। लेकिन क्या किसी डेटिंग एप पर सच्चा प्यार मिल सकता है। यही इस फिल्म की कहानी है। इससे पहले करीब-करीब सिंगल जैसी फिल्में भी ऐसे ही विषय पर बनी है। इंदु की जवानी में पंजाबी तड़का है गानों में धूम धड़का भी है। गुरु रंधावा भी हैं बस कहानी कहीं बुरी तरह से मिसिंग है। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : इंदु की जवानी
कलाकार : कियारा आडवाणी, आदित्य सील, मल्लिका दुआ, गुरु रंधावा
निर्देशक : अबीर सेनगुप्ता
निर्माता : टी सीरीज
रेटिंग : दो स्टार

क्या है कहानी
फिल्म की कहानी इंदु के इर्द-गिर्द घूमती है. इंदु (कियारा आडवाणी ) को सही प्यार की तलाश है, लेकिन वन नाइट स्टैंड की तलाश में, वह कुछ ऐसा कर बैठती है, जिससे उसकी जिंदगी में भूचाल आ जाता है। वह डेटिंग एप का सहारा लेकर ऐसा करती है। उसे ऐसा करने के लिए, उसकी दोस्त सोनल (मल्लिका दुआ) ही कहती हैं। वहीं उसे, समर (आदित्य सील ) मिलता है, और फिर यहां से कहानी में कई ट्विस्ट आने शुरू होते हैं। इंदु को धोखा मिलता है या सही प्यार, एक लड़की जब इस तरह के डेटिंग एप का सहारा लेती है, तो क्या होता है। उसके सामने क्या-क्या परेशानी आती है, उसे ही हल्के -फुल्के अंदाज़ में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है।

क्या है अच्छा
फिल्म का ये मेसेज अच्छा है कि लड़के चाहें, कितनी भी मस्ती करें, कुछ नहीं बिगड़ता, लड़की को किस तरह से बदनाम करने में लोगों को मजा आता है, इसे अच्छी तरह दर्शाया है. यह फिल्म का सबसे अच्छा प्वॉइंट है। कुछ दृश्यों में अच्छी कॉमेडी है। निर्देशक की पहली फिल्म है, उस लिहाज से निर्देशन अच्छा है।

क्या है बुरा
फिल्म में जबर्दस्ती के संवाद, खासतौर से डबल मीनिंग वाले, कहानी को हल्का बना देते हैं, कई जगह दृश्य फूहड़ लगते हैं। कहानी का विषय, जितना सेंसिटिव और जरूरी उठाया गया था, उसे हल्के -फुल्के अंदाज़ में पेश करते हुए, बेवजह फूहड़ बनाने से बचना चाहिए था। छोटे शहर की लड़कियों को हर बार स्टीरियोटाइप दिखाना अब बंद कर देना चाहिए।

अदाकारी
कियारा को अपने कम्फर्ट जोन से निकलना बेहद जरूरी है, चूंकि वह एक ही जैसे एक्सप्रेशन लेकर, हर फिल्म में नजर आती हैं, मुमकिन है कि उनके साथ, ग्लैम कोशेंट जुड़ने के कारण, उन्हें फिल्में तो मिलती रहेंगी। लेकिन लंबी रेस के लिए तो, अपने अभिनय पर काम करना ही पड़ेगा। आदित्य सील ने अच्छा काम किया है। मल्लिका दुआ अपने स्टैंड अप मोड में ही अधिक नजर आती हैं। गुरु रंधावा को फिल्म में आई कैंडी के रूप में रखा गया है।

वर्डिक्ट
दर्शकों को आकर्षित करने में औसत रूप से कामयाब हो सकती है।
Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari