RANCHI: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में इलाज के लिए हजारों मरीज आते हैं। लेकिन यहां पर बीमारी बांटने का पूरा इंतजाम है। जहां हर कदम पर इंफेक्शन होने का खतरा मंडरा रहा है। अब तो ट्रामा सेंटर के आसपास भी जगह-जगह नीडिल और सीरिंज बिखरे पड़े हैं। इसके बाद भी रिम्स प्रबंधन हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो वेस्ट के डिस्पोजल को लेकर गंभीर नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इंफेक्शन बांटकर ही प्रबंधन को चैन मिलेगा? बताते चलें कि दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पहले भी रिम्स में बायो वेस्ट को खुले में फेंकने के साथ ही जलाने का मामला उठाया था।

हास्पिटल से डेली 700 किलो बायोवेस्ट

हास्पिटल में हमेशा 1500 सौ मरीज एडमिट रहते हैं, जहां एक मरीज के पास से एवरेज 200 ग्राम बायो वेस्ट निकलता है। वहीं सर्जरी और आर्थो वाले मरीजों के पास से जेनरल मरीजों की तुलना में ज्यादा बायोवेस्ट निकलता है। ऐसे में पूरे हॉस्पिटल से हर दिन 700 किलो बायोवेस्ट निकलता है। अब तो नए डिपार्टमेंट खुलने से इसमें और इजाफा होने की उम्मीद है।

कैंपस में फेंक रहे सीरिंज

हॉस्पिटल में सफाई का काम एक एजेंसी के जिम्मे है। वेस्ट कलेक्शन के लिए हास्पिटल में स्टाफ्स को लगाया गया है। लेकिन ये स्टाफ्स कचरा कलेक्ट तो करते हैं। लेकिन इंसीनरेटर तक पहुंचाने के बजाय जहां-तहां फेंक देते हैं। वहीं बिना पैक किए वेस्ट को डिस्पोजल के लिए ले जाते हैं। इस वजह से भी वह रास्ते में गिरता जाता है। अगर कोई परिजन या मरीज इसकी चपेट में आ जाए तो घायल होने के साथ ही इंफेक्शन भी हो सकता है। वहीं रेगुलर गुजरने वाले स्टाफ भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।

इंसीनरेटर का नहीं हो रहा इस्तेमाल

हॉस्पिटल से हर दिन निकलने वाले बयोवेस्ट को इंसीनरेटर में जलाने का आदेश दिया गया है। लेकिन वेस्ट को इंसीनरेटर में पहुंचाने की बजाय खुले में जला दिया जाता है। कुछ वेस्ट को छोड़कर बाकी वेस्ट को खुले में जला दिया जाता है। जिसमें कॉटन, गॉज और अन्य बायोमेडिकल वेस्ट शामिल होते है। इंजेक्शन की बोतल और सीरिंज भी खुले में ही जला दिए जाते है। इतना ही नहीं टैबलेट और कैप्सूल के कवर ग्लब्स व रबर वाली चीजों पर आग का असर नहीं होता। इससे केवल धुआं निकलता है जो हवा को जहरीला बना रहा है।

हाईकोर्ट का आदेश भी हवा में

हाईकोर्ट ने 5 साल पहले बायोवेस्ट के डिस्पोजल को लेकर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को आदेश दिया था कि बिना एनओसी के चल रहे हॉस्पिटल और नर्सिग होम को बंद कर दिया जाए। साथ ही कहा था कि बोर्ड गॉगल्स उतारकर चश्मा पहने तो उसे पॉल्यूशन दिखाई देगा। इतना ही नहीं, कोर्ट ने यह भी कहा था कि जहां-तहां फेंके जाने वाले बायोवेस्ट पर नजर रखने की जरूरत है। चूंकि नगर निगम शहर की सफाई नहीं कर सकता तो बायोवेस्ट डिस्पोजल तो दूर की बात है।

क्या-क्या है नुकसान

-खुले में बायोमेडिकल वेस्ट फेंकने से इंफेक्शन का खतरा

-पॉल्यूशन के अलावा इंफेक्शन होने का भी खतरा

-घरेलू जानवरों से घरों में भी पहुंच सकती है बीमारी

-नीडिल और सीरिंज खुले में फेंकने से घायल होने का खतरा

Posted By: Inextlive