अल्पसंख्यक विभाग में एक और फर्जीवाड़ा आया सामने

तत्कालीन डीएम के आदेश के बावजूद नहीं हुई मदरसों की जांच

Meerut। अल्पसंख्यक विभाग में एक और फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। जनपद में संचालित मदरसों में फिर से बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है। संयुक्त जांच समिति की जांच पूरी हुए बिना जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने मदरसों का मानदेय बांट दिया है। मेरठ में करीब 300 मदरसों का संचालन हो रहा है।

जरा समझ लें

बताते चलें कि जून 2017 में उत्तर प्रदेश शासन ने प्रदेश में संचालित सभी मदरसों की जांच के आदेश दिए थे। तत्कालीन डीएम समीर वर्मा ने जनपद में संचालित मदरसों के सत्यापन/जांच के लिए ब्लाक स्तर पर 3 सदस्यीय जांच समिति गठित थी। जांच समिति की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है तो वहीं दूसरी ओर प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी/मंडलीय अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मो। तारीक ने दर्जनों ऐसे मदरसों के शिक्षकों का मानदेय जारी कर दिया है। ज्यादातर ऐसे मदरसों के शिक्षकों का मानदेय रिलीज कर दिया गया जिनकी जांच अभी तक पूर्ण नहीं हुई है। संस्था अल खिदमद फाउंडेशन के संचालक तनसीर अहमद ने गोरखधंधे की शिकायत आलाधिकारियों से की।

दागियों पर मेहरबान

यहां सनद हो कि सत्र 2010-11 में केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपी 147 मदरसों के खिलाफ हीलाहवाली के कार्रवाई फाइलों में जब्त है। गत दिनों हाईकोर्ट ने संस्था अल खिदमत फाउंडेशन की शिकायत पर घोटाले की जांच कर रहे आर्थिक आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ इकाई को जांच कर दागी मदरसों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। 6 करोड़ का छात्रवृत्ति घोटाला पकड़ में आया था। तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम की मिलीभगत से गैर मान्यताप्राप्त मदरसों को भी छात्रवृत्ति की रकम दे दी गई थी। इस संबंध में जब प्रभारी जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मो। तारीक से बात करनी चाही तो उनका फोन बंद था।

मदरसों में जांच पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हो इसके लिए समितियों का गठन किया गया था। यदि समिति की रिपोर्ट के बिना शिक्षकों के मानदेय का भुगतान हो गया है तो यह जांच का विषय है। जबाव-तलब किया जाएगा।

अनिल ढींगरा, जिलाधिकारी, मेरठ

Posted By: Inextlive