क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : हिंडाल्को हादसे की जांच रिपोर्ट के लिए अभी और इंतजार करना होगा. दरअसल, इसका गार्डवाल तैयार करने वाले तीन बड़े संस्थानों को विशेषज्ञों को झारखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने शोकॉज जारी कर 19 अप्रैल तक जवाब मांगा था, पर इन्होंने बोर्ड को पत्र लिखकर कहा है कि उन्हें जवाब देने के लिए एक और महीने का वक्त चाहिए. उन्होंने बताया कि वे इस दरम्यान इसकी छानबीन करेंगे कि आखिर गार्डवाल की डिजाइन तैयार करने में कहां चूक हो गई थी. विशेषज्ञों के इस जवाब से यह साफ हो गया है कि हिंडा्कों में हुए हादसे की असलियत फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने की तैयारी चल रही है.

चार सदस्यीय जांच टीम

राज्य सरकार ने 12 अप्रैल को हिंडाल्को हादसे जांच के लिये चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी. इसमें सीएमपीडीआई और मेकन के एक-एक विशेषज्ञों को शामिल किया गया है. इसके अलावा रांची के वन प्रमंडल पदाधिकारी और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय पदाधिकारी भी कमेटी में शामिल हैं. कमेटी ने अब तक दो बार घटना स्थल का जायजा लिया है. अब तक पूरी रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई है. कमेटी की जांच में होने वाले खर्च का वहन झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कर रहा है. साथ ही जांच के लिये उपयुक्त संसाधन भी बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराये जा रहे हैं.

इन्होंने दी थी डिजाइन को मान्यता

आइआइटी मुंबई के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डीएन सिंह ने डिजाइन को मान्यता दी थी. कहा था कि गार्डवाल दबाब झेलने में सक्ष्म है. 42 मीटर की उंचाई तक भी रेड मड पौंड नहीं धंसेगी. ् आइएएस धनबाद के प्रोफेसर शरत कुमार ने 25 जनवरी 2019 को रेड मड स्टोरेज पौंड की स्टडी रिपोर्ट तैयार की थी. कहा था कि ऊंचाई 42 मीटर तक जा सकती है.

इन्हें जारी किया गया है शोकॉज

-प्रो डीएन सिंह- सिविल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी मुंबई

-प्रो एके घोष- चीफ साइंटिस्ट, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रूड़की

-प्रो शरत कुमार- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ माइंस, धनबाद

11 दिनों से फैक्ट्री में उत्पादन बंद

हादसे के दूसरे दिन 11 अप्रैल को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हिंडाल्को का सीओटी रद्द कर दिया था. इसके बाद से ही यहां उत्पादन नहीं हो रहा है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha