इंड‍ियन नेवी को ताकतवर बनाने में सबमरीन यानी क‍ि पनडुब्‍बी की खास भूम‍िका होती हैं। इसमें अब स्कार्पीन स्तर की आईएनएस कलवारी सबमरीन शाम‍िल हो गई है। ये सबमरीन इतनी ताकतवर है क‍ि पानी के अंदर दुश्‍मनों को पानी भी न मांगने देगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सागर नाम देते हुए सिक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन रीजन बताया है। आइए जानें आईएनएस कलवारी के अलावा इंड‍िनयन नेवी में शुरू हुए सबमरीन के सफर के बारे में....


आईएनएस कलवारी की ये हैं खासियतेंआईएनएस कलवारी इंडियन नेवीमें शामिल पहली समबरीन होगी जो डीजल-इलेक्ट्रिक वाली है। यह इंडियन नेवीके प्रोजेक्ट -75 के तहत मुंबई में माजगॉन डॉक लिमिटेड एमडीएलद्वारा फ्रैंच नौसैनिक रक्षा और ऊर्जा कंपनी डीसीएनएस द्वारा तैयार की गई है। आईएनएस कलवारी का नाम खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है। ये शार्क हिंद महासागर में घातक गहरे समुद्र शिकारी के रूप में जानी जाती हैं। स्कार्पीन स्तर की इस पनडुब्बी में उच्च स्तरीय घातक हथियार लगाए गए हैं। यह पनडुब्बी जरा भी आवाज नहीं करती। इसकी खासियत यह है कि डीजल और बिजली से चलने वाली यह सबमरीन मिसाइल और माइंस लेकर चल सकती है। इसका आकार हाइड्रो-डायनामिक है। इसकी स्पीड करीब 40 किलोमीटर प्रति घंटा के हिसाब से है। पहली समबरीन आईएनएस कलवारी
वहीं भारत में ट्रेनिंग पीरियड के 5 साल बाद पहली समबरीन आईएनएस कलवारी 8 दिसंबर 1967 में शुरू हुई थी। कलवारी इंडियन नेवीकी पहली पनडुब्बी भी थी। न्यूक्लियर पॉवर वाली पहली सबमरीनइंडियन नेवी में न्यूक्लियर पॉवर वाली पहली सबमरीन के रूप में 1988 में आईएनएस चक्र शामिल हुई थी। यह सबमरीन छुपकर दुश्मनों पर अटैक करने में एक्सपर्ट थी।


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Posted By: Shweta Mishra