वंदे मातरम गान के दौरान बैठे रहे पांच पार्षद, जमकर हुआ हंगामा

नई परंपरा शुरू करने की कवायद का सपा पार्षदों ने किया जमकर विरोध

ALLAHABAD: जिस राष्ट्र गीत को बुलंद आवाज में गाते हुए अमर शहीद भगत सिंह, सुखदेव आदि हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिए थे अब उसी गीत पर लोगों को खड़े होना भी गवारा नहीं है। गुरुवार को नगर निगम के मिनी सदन में यही हुआ। जब पूरा सदन राष्ट्र गीत के सम्मान में खड़ा था, उस दौरान कुछ पार्षद अपनी सीट पर बैठे रहे। इसके बाद सदन में वंदे मातरम गाने को लेकर जमकर हंगामा हुआ। नारेबाजी हुई। एक-दूसरे पर कटाक्ष भी किए गए।

देर से शुरू हुआ सदन

नगर निगम के पुनरीक्षित बजट 2016-17 पर चर्चा और स्वीकृति प्रदान करने के लिए गुरुवार को नगर निगम की सदन बुलाई गई। सदन शुरू होने का समय दोपहर बारह बजे निर्धारित था। मेयर अभिलाषा गुप्ता के साथ ही कुछ पार्षद और नगर आयुक्त व अन्य अधिकारी दोपहर बारह बजे सदन में पहुंच भी गए। पार्षदों की संख्या काफी कम थी। आधे घंटे तक इंतजार के बाद साढ़े बारह बजे तक केवल 32 पार्षद ही सदन में पहुंचे थे।

राष्ट्रीय गीत का प्रस्ताव रखा

पार्षदों के आने व कोरम पूरा होने का इंतजार हो रहा था कि इसी बीच भाजपा के पार्षद गिरीशंकर प्रभाकर उर्फ गिरी बाबा ने राष्ट्र गीत वंदे मातरम के बाद सदन की शुरुआत का प्रस्ताव अध्यक्ष मेयर अभिलाषा गुप्ता के सामने रखा। उनके प्रस्ताव रखते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी के पार्षद अतहर रजा लाडले, निजामुद्दीन, रेखा उपाध्याय, नेम यादव के साथ ही समाजवादी पार्टी के कई पार्षदों ने प्रस्ताव को नई परंपरा की शुरुआत बताते हुए विरोध किया।

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जिसके लिए बुलाई है वही करें

पार्षद अतहर रजा लाडले ने कहा कि माहौल खराब करने के लिए सदन में नई परंपरा की शुरुआत की जा रही है, जो गलत है। सदन जब पुनरीक्षित बजट पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी तो उसी पर बात होनी चाहिए। पार्षद रेखा उपाध्याय ने भी नई परंपरा की शुरुआत का विरोध किया। इस बीच भाजपा के पार्षदों ने राष्ट्रीय गीत को देश के प्रति सम्मान बताया। जमकर बहस होती रही और नारेबाजी भी चलती रही। एक तरफ से जहां जय श्री राम, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लग रहे थे, वहीं दूसरी तरफ से भी नारेबाजी हो रही थी।

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राष्ट्र गान से समापन

सदन की अध्यक्षता कर रही मेयर अभिलाषा गुप्ता ने कहा कि सदन ऐतिहासिक फैसले ही लेती है। किसी जाति, विशेष व समुदाय के लिए निर्णय नहीं लेती। महापुरुषों ने राष्ट्रहित में राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। राष्ट्र गीत और राष्ट्रगान को गाते हुए प्राणों को न्यौछावर किया है। सदन ही परम्परा बनाती है। पुरानी परंपराओं में विधवाओं को घर के अंदर बंद किया जाता था तो क्या आज भी हम उसी परंपरा पर चलें? राष्ट्रहित के लिए हम समर्पित हैं तो राष्ट्र गीत और राष्ट्र गान गाने से छोटे हो जाएंगे? हम अपने राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को इस सदन में लागू करते हैं। लेकिन किसी को बाध्य नहीं करते हैं, जिसे मानना है वह माने। जब सदन शुरू होगी तो राष्ट्रगीत होगा और जब सदन समाप्त होगी तो राष्ट्रगान होगा। इसी बीच पार्षद अतहर रजा लाडले ने मेयर पर आरोप लगाया कि सदन में राष्ट्रीय गीत और राष्ट्रगान की परंपरा लागू करने की पहले से प्लानिंग कर रखी थी। पार्षद के आरोप के बाद फिर हंगामा हुआ।

अपनी सीट पर बैठे रहे पार्षद

हंगामे के दौरान ही पार्षद राष्ट्रीय गीत गाने लिए खड़े हुए और फिर राष्ट्रीय गीत शुरू हुआ। सदन में मौजूद सभी पार्षद, अधिकारी, कर्मचारी अपने स्थान पर खड़े हुए। लेकिन, नई परंपरा का विरोध जताते हुए पार्षद अकीलुर्रहमान, सुशील यादव, अतहर रजा लाडले, अशोक सिंह, मो। जफर अपने स्थान पर बैठे रहे। मिनट बुक में पार्षद अतहर रजा लाडले का विरोध दर्ज किया गया। इसके बाद पार्षद रमेश चंद्र मिश्रा राष्ट्रीय गीत का राजनीतिकरण करते हुए अपमान करने का आरोप लगाते हुए सदन से बाहर चले गए। पार्षद अतहर रजा लाडले और कार्यकारिणी उपाध्यक्ष सुशील यादव ने भी सदन का बहिष्कार किया।

माहौल खराब करने के लिए सदन में नई परंपरा की शुरुआत की जा रही है, जो गलत है। सदन जब पुनरीक्षित बजट पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी तो उसी पर बात होनी चाहिए।

अतहर रजा लाडले, पार्षद

राष्ट्रहित के लिए हम समर्पित हैं तो राष्ट्र गीत और राष्ट्र गान गाने से छोटे कैसे हो जाएंगे? हम अपने राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान को इस सदन में लागू करते हैं। लेकिन, किसी को बाध्य नहीं करते हैं, जिसे मानना है वह माने। अब सदन की शुरुआत राष्ट्र गीत और समापन राष्ट्र गान से होगा।

अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम, इलाहाबाद

Posted By: Inextlive