आज यानी कि 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर हम अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2020 की थीम और भारत में इसके महत्त्व के बारे में बताने जा रहे हैं।

कानपुर। हर साल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (आईएमएलडी) मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस को दुनिया भर में मौजूद भाषाई विविधता का जश्न मनाने के लिए मनाया जाता है। इसके अलावा इस दिवस को मनाने का मकसद दुनियाभर में अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाना भी है। यूनेस्को ने 17 नवंबर, 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने का एलान किया था और तब से लेकर आज तक हर साल 21 फरवरी को इसे मनाया जाता है। यूनेस्को ने दुनिया भर के विभिन्न देशों में उपयोग की जाने वाली (पढ़ी, लिखी और बोली जाने वाली) 7000 से अधिक भाषाओं की पहचान की है और इस साल के सेलिब्रेशन में इसका खास ध्यान में रखा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2020 की थीम

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2020 की मेन थीम 'लैंग्वेजेज विथाउट बॉर्डर्स' है। इसका मतलब यह है कि बिना सिमा वाली भाषाएं हैं। यूनेस्को के अनुसार, 'स्थानीय, क्रॉस-बॉर्डर भाषाएं शांतिपूर्ण संवाद को बढ़ावा दे सकती हैं और स्वदेशी विरासत को संरक्षित करने में मदद कर सकती हैं।' 21 फरवरी 2020 को संगठन इस विषय के तहत बहुभाषीवाद का जश्न मनाएगा।

भारत में इसका महत्त्व

भारत 21 फरवरी को देशभर में 'मातृभाषा दिवस' के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को मनाता है। इस बार इसको लेकर मुख्य उत्सव समारोह का आयोजन एमएचआरडी द्वारा नई दिल्ली में किया गया है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम। वेंकैया नायडू करेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल 'निशांक', एमओएस, संस्कृति व पर्यटन मंत्रालय के श्री प्रहलाद सिंह पटेल और एमओएस, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री संजय धोत्रे भी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत को दर्शाएगा। एमएचआरडी, शैक्षिक संस्थानों के साथ लेखन प्रतियोगिताओं, पेंटिंग प्रतियोगिताओं, संगीत और नाटकीय प्रदर्शन, प्रदर्शनियों, ऑनलाइन संसाधनों, बहुभाषी समाज की संज्ञानात्मक सहित विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की नींव बांग्लादेश के ढाका में 1952 में हुए छात्रों के आंदोलन से राखी गई थी. 21 फरवरी 1952 को ढाका विश्वविद्यालय के चार छात्रों अबुल बरकत, अब्दुल जब्बार, सोफियार रहमान, अब्दुस सलाम को पुलिस ने गोलियों से भून दिया था, वह बंगला को दो राष्ट्रीय भाषाओं में से एक के रूप में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उनके बलिदान को याद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है। 29 फरवरी 1956 को, बंगाली को पूर्वी पाकिस्तान की आधिकारिक दूसरी भाषा के रूप में अपनाया गया था।

Posted By: Mukul Kumar