-सीनेट हॉल में चल रहे संस्कृत डिपार्टमेंट के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में जुटे विद्वानों ने कहा

-विद्वानों ने कहा, उपनिषद चिंतन सभी धर्मो का मूल है

-तीन दिवसीय प्रोग्राम का समापन

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सीनेट हॉल में संस्कृत डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का थर्सडे को समापन हो गया। लास्ट डे के चीफ गेस्ट एचओडी दर्शन विभाग जेएनयू प्रो। आरपी सिंह ने उपनिषदों को जनसाधारण तक पहुंचाने की बात पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि उपनिषद दर्शन की क्षमता प्रदर्शन के लिए इसे मीडिया के लायक बनाना पड़ेगा। मीडिया के स्तर पर ही दुनिया के जनसामान्य में यह चिन्तन पहुंच सकता है।

दायरा बढ़ाना जरूरी है

प्रो। सिंह ने कहा कि अमेरिका, यूरोप, जर्मनी, चीन, लंदन जैसे देशों में एजूकेटेड लोगों के बीच इसकी पहुंच पहले ही है। लेकिन, तमाम देशों के लोग इसके बारे में जानते तक नहीं। दुनिया की सभी लैग्वेज में अनुवाद करने से ही यह वैश्रि्वक स्तर पर लोगों के बीच पहुंच सकेगा। इसी से इसका दायरा बढ़ेगा और इसकी महत्ता के बारे में लोगों को पता चलेगा। यह किसी एक के प्रयास से संभव नहीं होगा, इसलिए सभी को मिल जुल कर प्रयास करना होगा।

उदाहरण देकर समझाया

समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो। राम किशोर शास्त्री ने कहा कि उपनिषद चिन्तन सभी धर्मो का मूल है। इसे सभी को समझना होगा। फिलहाल ऐसा नहीं है। उन्होंने तमाम उदाहरणों के साथ तर्को के जरिए अपनी बात को साबित भी किया। इसके पहले प्रोग्राम में प्रो। शंकरदयाल द्विवेदी ने सभी गेस्ट का स्वागत किया। प्रोग्राम के संयोजक प्रो। कौशल किशोर श्रीवास्तव ने बताया कि सम्मेलन में लगभग तीन सौ से अधिक प्रतिभागियों ने पार्टिसिपेट किया। उन्होंने इसके लिए सभी का धन्यवाद दिया। प्रोग्राम के दौरा प्रो। मज्जुला जासवाल, प्रो। मृदुल त्रिपाठी, प्रो। केजे नसरीन समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive