-पटना से कोलकाता और कोलकाता से भुवनेश्वर पर चल सकती है ट्रेन-18

-डिमांड आई तो साउथ ईस्ट एशिया, यूरोप और अफ्रीका को भी करेंगे निर्यात

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PRAYAGRAJ: बिना इंजन के ट्रेन है। कोच कपलर से नहीं जुड़ते हैं। पूरी ट्रेन एक साथ बनी हुई है। वंदे भारत एक्सप्रेस भविष्य का झलक है। फॉरेन से लाने वाली ट्रेन के आधे खर्च में आईसीएफ चेन्नई में वंदे भारत एक्सप्रेस तैयार की गई है। यहां के इंजीनियर ने चैलेंज को स्वीकार किया, 18 महीने में ट्रेन-18 को तैयार किया गया। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट से खास बातचीत में इस ट्रेन के बारे में विस्तार से बताया

सीनियर सिटीजन को कोटा नहीं, फेयर में डिस्काउंट भी नहीं दिया गया वंदे भारत में। क्या कहेंगे?

पहली सेमी हाईस्पीड नई ट्रेन है। आगे चलकर क्या सुविधाएं दे सकते हैं इस पर विचार होगा। क्योंकि ट्रेन की लागत बहुत ज्यादा है। क्या-क्या सुविधाएं बढ़ाई जा सकती हैं, इस पर विचार होगा।

ट्रेन-18 के बाद क्या ट्रेन-20 भी आएगी?

जी हां, ट्रेन-20 पर काम चल रहा है। ओवरनाइट ट्रेन बनेगी। स्लीपर की व्यवस्था होगी। तेज गति से काम चल रहा है। पीएम का उद्देश्य है कि रेल की व्यवस्था को और सुगम बनाया जाए। इस पर काम चल रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाया जा रहा है।

वंदे भारत में फ्लेक्सी फेयर लागू करेंगे क्या?

अभी तो फिलहाल किराया फिक्स ही रहेगा। 14 फरवरी को दोपहर में 17 फरवरी के लिए वंदे भारत एक्सप्रेस का रिजर्वेशन शुरू किया गया, जो चंद ही घंटों में फुल हो गया। प्रयागराज आध्यात्मिक शहर है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।

और किस रूट पर ट्रेन चलेगी?

30 और ट्रेन के टेंडर की प्रक्रिया शुरू की है। वंदे भारत की पहली यात्रा के अनुभव के बाद फीडबैक के आधार पर 100 ट्रेनें बनाए जाने का प्लान बनाया जाएगा। देश के हर इलाके में हर रूट पर सेमी हाईस्पीड ट्रेन दौड़े। यही प्रयास होगा।

क्या ट्रेन-18 एक्सपोर्ट भी करेंगे?

बिल्कुल हम इसके लिए भी तैयार हैं। भारत विश्व का रेलवे इक्विपमेंट्स मैन्यूफैक्चरिंग का केन्द्रबिंदु बनेगा।

कुंभ में लाखों-करोड़ों लोगों ने डुबकी लगाई, आप कब डुबकी लगाएंगे?

प्रयागराज की महिमा से मैं भी अभीभूत हूं। आना भी चाहता था, लेकिन बजट में व्यस्तता के कारण नहीं आ सका। देखते हैं कब मौका मिलता है।

135 किलोमीटर प्रति घंटा की मैक्सिमम स्पीड से दौड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस

99 किलोमीटर प्रति घंटा रहा एवरेज स्पीड

अभी नार्मल सिग्नल से चल रही है ट्रेन-18, भविष्य में सिग्नल ट्रेन की स्क्रीन पर ड्राइवर को दिखाई देगा।

-गतिमान एक्सप्रेस से सेमी हाईस्पीड ट्रेन-18 पूरी तरह से अलग है।

-गतिमान में इंजन लगा है, ट्रेन-18 में इंजन इंटर कनेक्टेड है।

-ट्रेन-18 में सेंसर सिस्टम लगा हुआ है।

-अब तक की ट्रेनों में गार्ड और ड्राइवर एक-दूसरे को नहीं देख पाते हैं। ट्रेन 18 में ऐसा नहीं है।

-रेल मंत्री, डीआरएम भी ट्रेन के बार्ड और ड्राइवर को देख सकते हैं।

-जरूरत पड़ने पर पैसेंजर ड्राइवर से और ड्राइवर पैसेंजर से बात कर सकते हैं।

वंदे भारत में एनसीआर का क्रू

सफर के पहले दिन कानपुर के स्टॉफ ड्राइवर मनोज तिवारी और एसके लाभ ट्रेन लेकर वाराणसी गए। वंदे भारत एक्सप्रेस में एनसीआर के ही ड्राइवर और गार्ड ड्यूटी करेंगे।

Posted By: Inextlive