वो फायरब्रांड नेता के तौर पर जाने जाते हैैं। उन्हें टीवी पर आए दिन पाकिस्तान को ललकारते हुए देखा जाता है। आर्टिकल 370 35ए पॉपुलेशन कंट्रोल और अयोध्या में राम मंदिर जैसे मुद्दों पर वो अपनी बात पूरे दमखम से रखते हैैं। हालांकि इसके अलावा भी उनकी एक अलग पहचान है। उनकी कोशिश केंद्र की सत्ता में रहते हुए युवाओं को रोजगार दिलाने की है। वो गांव किसान और गरीब के उत्थान की बात करते हैैं। वो एक ऐसा गांव बनाना चाहते हैं जहां के युवा 20-25 हजार रुपए की नौकरी के लिए शहर का रुख न करें। उन्हें रोजगार गांव में ही मिले। हम बात कर रहे हैैं केंद्रीय पशुपालन और मत्स्यपालन मंत्री गिरिराज सिंह की। बिहार के लखीसराय जिले में बड़हिया गांव में एक साधारण किसान परिवार में जन्में गिरिराज सिंह से नई दिल्ली में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के राजीव त्रिपाठी ने उनकी इमेज पॉलिटिकल एजेंडे और फ्यूचर प्लानिंग पर खास बात की। उन्होंने हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय रखी। पेश है इस बातचीत के प्रमुख अंश...

सवाल: आजकल मीडिया में छाए रहते हैैं। असलियत में गिरिराज जी क्या हैैं?
जवाब: कभी-कभी मैैंने ये महसूस किया कि सरकार में आने के बाद राज्य में मेरे कामों का रिफ्लेक्शन ज्यादा था, लेकिन केंद्र में मीडिया के कुछ मित्रों ने मेरे काम को साइड कर दिया और मेरे पॉलिटिकल इश्यू जो थे उन्हें हाइलाइट कर दिया। इससे ये मैसेज गया कि गिरिराज केवल पॉपुलेशन कंट्रोल पर बोलेगा, अयोध्या पर बात करेगा, 370 पर बोलेगा, 35ए पर बात करेगा, कॉमन सिविल कोड पर बोलेगा, लेकिन हमने जो 5 साल के अंदर एक से दो करोड़ लोगों को ऋण उपलब्ध कराया, दस करोड़ लोगों को रोजगार दिया। इसकी चर्चा नहीं होगी। मुझे इसकी पीड़ा रही।

सवाल: राज्य सरकार में इस विभाग के मंत्री रह चुके हैैं और काफी काम भी किया है। केंद्र में इसे कैसे लागू करेंगे?

जवाब: नई सरकार में जब ये विभाग बनाया गया तो मेरे मन में सबसे पहले सवाल आया कि युवाओं को रोजगार कैसे दिया जाए। देश के किसानों की आर्थिक स्थिति में कैसे सुधार किया जाए। आज देश के अंदर एग्रीकल्चर, जो सीरियल क्रॉप है वो ऑप्टिमम पर जा रहा है। एक छोटा सा आंकड़ा देखते हैैं कि धान और गेहूं को मिला लेते हैैं तो वर्ष 17-18 में अकेले लगभग 4 लाख करोड़ का आंकड़ा होता हैै, लेकिन वहीं हम लाइव स्टॉक में डेयरी को देखते हैैं तो वर्ष 16-17 में यह 6 लाख करोड़ हो जाता है। हम सबसे बड़े डेयरी उत्पादक देश तो हैैं, लेकिन यील्ड हमारा दुनिया से बहुत कम है। इसे बढ़ाने के लिए हमने टेक्नोलॉजी का सहारा लिया।   

सवाल: गाय की फैक्ट्री वाला बयान सुर्खियों में रहा। असलियत क्या है?

जवाब: मुझे प्रधानमंत्री के मथुरा में कार्यक्रम का हिस्सा बनने का मौका मिला। वहां गुड़गांव के एक नौजवान द्वारा पाली गई गाय का पूजन किया गया। वो नौजवान अमेरिका में आईटी सेक्टर की नौकरी छोड़कर भारत आया है। उसने 750 जानवरों को रखा है। करोड़ों की उसकी आमदनी है। उसके सामने थ्रेट क्या है। वो चाहता है कि उसकी गाय बछिया ही पैदा करे। मैैंने कहा कि टेक्नोलॉजी का जमाना है। हम सॉर्टेड सेक्स सीमेन टेक्नोलॉजी लाए और कहा कि 90 परसेंट बछिया ही पैदा होगी। लैब में 30 लीटर दूध देने वाली गाय के एंब्रियो को लैब में डेवलप करने के बाद 2 लीटर दूध देने वाली गाय की कोख में डालेंगे तो 30 लीटर वाली गाय ही पैदा होगी। इससे किसानों की आय दोगुनी होगी। एक करोड़ डोजेस अगर हम दें तो किसान की ताकत डेढ़ लाख करोड़ की होगी।  
सवाल: पीओके को लेकर आपके बयान पूरे देश ने सुने हैैं। क्या वाकई देश का नक्शा बदलने जा रहा है?
जवाब: क्या इसी देश ने तीन महीने पहले तक सोचा था कि 370 हटेगा, 35ए हटेगा। विपक्ष में कई लोग  कहते थे कि कई सौ मोदी पैदा होंगे तो भी ये नहीं होगा। राष्ट्र के प्रति समर्पण चाहिए और अपनी ताकत चाहिए। आज मोदी एक ऐसे व्यक्तित्व का नाम हो गया है कि पूरी दुनिया में भारत की ताकत बन गया है, भारत की पहचान बन गया है। आज भारत के प्रधानमंत्री से हाथ मिलाने के लिए सब हाथ आगे बढ़ा रहे हैैं। यही तो मेरी ताकत है। अगर नेहरू ने गलती की थी पीओके को छोड़कर, सेना को वापस बुलाकर तो भारत का सपूत आया है। हमारा है पीओके और जन-जन की आवाज है। कैसे होगा, ये समय बताएगा।

 


सवाल: मोदी जी वंशवाद की राजनीति के खिलाफ हैैं। आपका क्या विजन है?
जवाब: देखिए मैैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। अगर कोई पॉलिटिकल एक्टिविस्ट है। मैैं उदाहरण के तौर पर कहता हूं कि हमारे यहां विद्यार्थी परिषद है जो वहां सोशल एक्टिविस्ट बनता हो तो उसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन जो पैदा होते हैैं वही अध्यक्ष बन सकते हैैं। वो अनार्किज्म है, वो डायनैस्टी है।
सवाल: एनआरसी पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की नाकाम कोशिश की। अब तो आपने बिहार में ही एनआरसी लागू करने की बात कर दी है। ऐसा क्यों?
जवाब: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद कहा कि मेरा जो जनसंख्या विस्फोट है वो मेरे लिए खुद संभालना मुश्किल हो रहा है। इसलिए मैैं घुसपैठियों को भारत में जगह नहीं दे सकती। उन्होंने पॉलिटिकल दबाव के आगे घुटने टेक दिए। कौन देश है जो कहेगा कि आओ धर्मशाला में रहो। मैैं हाल में मोदी जी के जन्म दिन के मौके पर पाकिस्तान से आए हिंदुओं की बस्ती में गया था, वो जो जिंदगी जी रहे हैैं, बदहाली की जिंदगी है। हालांकि वोट के सौदागरों ने रोहिंग्या मुसलमानों के लिए रेड कार्पेट बिछा दिया। प्रॉब्लम यहां है। जिस दिन एनआरसी को भारत के चश्मे से देखेंगे उस दिन एनआरसी अति आवश्यक दिखेगा।

सवाल: सिंगल यूज प्लास्टिक को देश से समाप्त करने का संकल्प मोदी जी ने लिया है। आपने अपने ऑफिस से शुरुआत भी कर दी है। पूरे देश में कैसे लागू करेंगे?

जवाब: कभी-कभी कुछ चीजें सहूलियत दिखती हैैं वो मेरे लिए जंजाल है। आज सिंगल यूज प्लास्टिक मेरे लिए जंजाल है। जानवर खा लिए, कूड़ा-करकट हो गया। प्रदूषण हो गया। अभी तक इन टेबलों पर प्लास्टिक की बोतल हुआ करती थी। मन को मना लिया, बोतल बदल दी। हमने डेयरी के सेक्टर में मन बनाया है कि 3 आर फॉर्मूले पर चलेंगे। रिड्यूस, रीयूज और रिडक्शन। धीरे-धीरे कम करेंगे हो जाएगा।

सवाल: मंत्रालय के साथ-साथ आपका जानवरों के प्रति प्रेम भी दिखता है। जब कोई पशुओं को अवारा कहता है तो आपको गुस्सा आ जाता है। ऐसा क्यों?

जवाब: कुछ बदजुबान लोग बेजुबान पशुओं को आवारा कह देते हैैं तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। क्योंकि आवारा तो हम हैैं, जिन्होंने उन्हें बेसहारा छोड़ दिया। अब मेरा लक्ष्य है कि बेसहारा पशुओं को दूसरों के सहारा लायक बनाओ। मैैं 6 या 8 महीने के अंदर उन बेसहारा पशुओं को दूसरों को सहारा देने लायक बना दूंगा, क्योंकि उनके पास दो पूंजी है। गौमूत्र और गोबर। मैैं दोनों को वैल्यूएट करूंगा। कई सेक्टर में इसका इस्तेमाल होगा। एमएसएमई में हमारे साइंटिस्ट्स ने कटे हुए बालों से अमीनो प्रोटीन बनाया। हम गोबर से बडमी कंपोस्ट बनाएंगे, लेकिन मेरा पूरा फोकस रहेगा अर्थ बर्न को पैदा करना।

गिरिराज सिंह

निर्वाचन क्षेत्र: बेगूसराय (बिहार)
पार्टी का नाम: भारतीय जनता पार्टी
पिता का नाम: स्वर्गीय राम अवतार सिंह
माता का नाम: स्वर्गीय तारा देवी
जन्म स्थान: बड़हिया, जिला लखीसराय, बिहार
पत्नी का नाम: उमा सिन्हा
पुत्री: 1
व्यवसाय: कृषि
जन्म तिथि: 08 सितंबर, 1952
शैक्षणिक योग्यता: मगध विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट
पॉलिटिकल करियर
*2002-मई 2014: सदस्य, बिहार विधान परिषद
*2008-2010: सहकारी मंत्री, बिहार सरकार
*2010-2013: मंत्री, पशु और मत्स्य संसाधन विकास, बिहार सरकार
*मई 2014: 16वीं लोक सभा के लिए चुने गए
*1 सितंबर 2014-9 नवंबर 2014: सदस्य, श्रम स्थायी समिति
*2 सितंबर 2014-9 नवंबर 2014: सदस्य, संसद सदस्यों के वेतन एवं भत्तों की संयुक्त समिति
*09 नवंबर 2014 से 3 सितंबर 2017: केंद्रीय राच्य मंत्री, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार
*4 सितंबर 2017 से मई 2019: केंद्रीय राच्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार
*30 मई 2019 से अब तक: केंद्रीय मंत्री, पशुपालन एवं डेयरी व मत्स्यपालन

बचपन और जवानी के दिन

*बचपन में घर में खेत-किसानी के माहौल के बीच गिरिराज ने वहीं से स्कूली शिक्षा प्राप्त की।  
*पिता ने किशोर उम्र में ही गिरिराज को बेगूसराय स्थित अपने बहनोई वृद्धदेव नारायण सिंह के पास पढऩे-लिखने को भेज दिया।
*फूफा वृद्धदेव कठोर अनुशासनप्रिय और बेहद धार्मिक प्रवृति के इंसान थे। शायद यहीं से उनका धार्मिक प्रवृत्ति की ओर रुझान हुआ।
*स्कूली शिक्षा के बाद तो गिरिराज ने कॉलेज की पूरी पढ़ाई बेगूसराय में ही की।
*1978 में बहन की शादी के दौरान ही संघ से जुड़े नेता जर्नादन शर्मा से उनकी भेंट हुई और फिर वह धीरे-धीरे राष्ट्रवाद की विचारधारा की ओर खिंचते चले गए।
*इसी दौरान वह बीजेपी के पुराने नेता लालमुनि चौबे और जनार्दन यादव के संपर्क में आए।
*गिरिराज पार्टी के काम में इतने रमे कि परिवार के लिए भी ज्यादा वक्त नहीं निकाल पाते। आज भी वो परिवार को समय नहीं दे पाते। इस बारे में वो कहते हैैं कि मोदी जी का मिशन पूरा करना है।

 

Posted By: Shweta Mishra