इन दिनों संसद से लेकर सड़क तक हंगामा मचा रहे इशरत जहां केस में एक और नया ट्विस्‍ट आ गया है। अब मामले की जांच करने वाली सीबीआई टीम के सदस्‍य रहे सतीश वर्मा ने कहा कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले थे कि इशरत का आतंकी संगठन लश्‍कर से कोई संबंध था।


सुनियोजित षडयंत्र थी हत्या
इशरत जहां मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम के सदस्य रहे आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा ने इस मामले को लेकर जानकारी शेयर की हैं। वर्मा इस मामले के लिए बनी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के सदस्य भी रहे थे। वर्मा ने कहा कि उनकी जांच में कभी भी ये पता नहीं चला कि इशरत का आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा से कोई संबंध था। इसीलिए उन्हें इस बारे में लगता है कि साल 2004 में गुजरात में हुआ ये एनकाउंटर इशरत जहां की पूर्व नियोजित हत्या का नतीजा थी। उन्होंने आगे बताया कि उनकी जांच में पता चला है कि एनकाउंटर से कुछ दिन पहले आईबी अधिकारियों ने इशरत और उसके तीन साथियों को उठवा लिया था। जबकि उस वक्त भी आईबी के पास इस बात के सबूत या संकेत नहीं थे कि ये महिला आतंकियों के साथ मिली हुई है। वर्मा ने बताया कि इन लोगों को गैर कानूनी रूप से कस्टडी में रखा गया और फिर मार डाला गया।पी चिदंबरम भी फंसे हैं मामले में


इस बीच आरोप हैं कि गुजरात में 2004 में कथित फर्जी मुठभेड़ के दौरान मारी गई इशरत जहां पर प्रथम हलफनामे को तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने बदल दिया था, लेकिन उस समय के गृह सचिव जीके पिल्लई ने स्वयं से कोई सलाह नहीं किए जाने के चलते कोई असंतोष दर्ज नहीं किया था। फाइल नोटिंग में इस बात का खुलासा हुआ है कि इशरत जहां केस में पहले हलफनामे को महाराष्ट्र और गुजरात पुलिस की जानकारी के आधार पर दाखिल किया गया था, जिसमें कहा गया था कि मुंबई के बाहरी इलाके की 19 वर्षीय यह लड़की लश्कर ए तैयबा की कार्यकर्ता है लेकिन इसे दूसरे हलफनामे में इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया था।

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Posted By: Molly Seth