-नियम दरकिनार कर दवा की खरीद का मामला

ह्मड्डठ्ठष्द्धद्ब : प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए वित्तीय वर्ष 2010-11 में 18 करोड़ रुपये की दवा खरीद में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट अनुसंधानकर्ता ने ऊपर बढ़ा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले की निगरानी जांच का आदेश दिया था। अब निगरानी ब्यूरो के वरीय अधिकारी इसकी पर्यवेक्षण रिपोर्ट देंगे।

दवा नहीं बनानेवाले कंपनीज से दवा की खरीदारी

बीआइएफआर में पड़ी भारत सरकार की कंपनी हिन्दुस्तान एंटीबायोटिक- पुणे, बंगाल केमिकल्स-कोलकाता और इंडियन ड्रग्स फार्मा लिमिटेड- गुड़गांव से उस समय दवा खरीद दिखाई गई थी, जबकि ये कंपनियां कोई दवा नहीं बनाती। अनुसंधानकर्ता की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी प्रावधानों को ताक पर रख कर उस समय दवा की खरीद की गई थी।

स्थानीय विक्रेताओं से खरीदारी

कंपनी से दवा लेने की जगह डीलरों और स्थानीय विक्रेताओं से दवा की खरीद की गई थी। इसमें कई ऐसी दवाओं की खरीद की गई जिनकी आवश्यकता उस वक्त नहीं थी। वैसी दवाएं रखे-रखे बड़ी मात्रा में खराब हो गई। दवा घोटाले में कई लोगों की संलिप्पता है।

जिलावार राशि आवंटित की गई थी

रांची -70 लाख, हजारीबाग 50 लाख, दुमका 15 लाख, पलामू 15 लाख, चाईबासा 40 लाख, बोकारो 20 लाख, चतरा 50 लाख, रामगढ़ 40 लाख, देवघर 20 लाख, साहिबगंज 30 लाख, पाकुड़ 30 लाख, गिरिडीह 15 लाख, जमशेदपुर 15 लाख, सरायकेला 15 लाख, गोड्डा 50 लाख, लातेहार 15 लाख, जामताड़ा 15 लाख, सिमडेगा सात लाख, लोहरदगा 16 लाख, खूंटी 10 लाख, कोडरमा 20 लाख, गढ़वा 40 लाख, धनबाद 20 लाख, गुमला 20 लाख। इसके अलावा एमजीएम कॉलेज, जमशेदपुर के अधीक्षक को 1.53 करोड़, पीएमसीएच धनबाद के अधीक्षक को 10 लाख, रिम्स के निदेशक को चार करोड़ और स्वास्थ्य निदेशक को दो करोड़ की राशि आवंटित की गई थी।

Posted By: Inextlive