आईपीएल: करोड़ों के खिलाड़ी और 'कौड़ी की जवाबदेही'
एक ऐसे समाज में जहाँ पहले से ही बहुत सामाजिक असमानता है, आप करोड़ों की बोलियां लगा रहे हैं. आप किसी को 14 करोड़ रुपए में किसी को दस करोड़ रुपए में ख़रीद-बेच रहे हैं.वो भी तब जब लोग देख रहे हैं कि इस पर गोरखधंधे और सट्टेबाज़ी के आरोप लगे हैं. आरोप ही नहीं लगे हैं, टीम के मालिक पाए गए हैं सट्टेबाज़ी करते हुए.मुद्गल कमेटी की रिपोर्ट में तो गुरुनाथ मेयप्पन को दोषी पाया गया है. कमेटी ने पुलिस के रिकॉर्ड और दूसरे कई दस्तावेज़ों को देखा है और उन पर लगे आरोपों को सही पाया है.
रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा है कि मेयप्पन टीम का चेहरा थे जबकि बीसीसीआई के प्रमुख और उनके ससुर एम श्रीनिवासन ने पहले कहा था कि मेयप्पन क्रिकेट के शौकीन के तौर पर टीम से जुड़े थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि मेयप्पन सट्टेबाज़ी में भी शामिल थे.कमेटी की संस्तुति
उसके कर्मचारी अभी भी तऩख्वाह के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एक तरफ माल्या कह रहे हैं कि आपको कर्मचारियों की तऩख्वाह देने के लिए पैसा नहीं दूसरी तरफ आप 14 करोड़ रुपए में खिलाड़ी ख़रीद रहे हैं.पब्लिक की पसंदमेरी निजी राय है कि आईपीएल क्रिकेट के डीएनए से खिलवाड़ कर रहा है. क्रिकेट की बुनियादी स्किल्स को नष्ट कर रहा है. हो सकता है कि किसी को लगे कि यह सही है.अगर यह पब्लिक को पसंद है तो इसे चलना देना चाहिए. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसमें जो काला धन है, जो मैच फिक्सिंग हो रही है उसे जारी रहने दिया जाए. इन चीज़ों पर कार्रवाई होनी चाहिए.
आईपीएल के खेल में प्राइवेट बिज़नेस का पैसा लगा है, इसमें ग्लैमर जुड़ा है. इसमें खिलाड़ी देश के लिए नहीं खेल रहा होता एक प्राइवेट क्लब के लिए खेल रहा है.इसमें खिलाड़ी दो महीने में ऐसे लोगों से संपर्क में आता है जिसमें से कई वो लोग उसका ग़लत फायदा उठाना चाहते हैं.क्रिकेट की छवि