- समुद्री रास्तों पर देश की निगहबानी होगी मजबूत

- टेक्नोलॉजी के बाद अमेरिका, फ्रांस व जर्मनी देशों श्रेणी में शामिल हो जाएगा भारत शामिल

देहरादून,

समुद्री रास्तों से देश के कोस्टल बॉर्डर पर घुसपैठ करने वालों की खबर लेने के लिए दून में ऐसी टेलिस्कोपिक डिवाइस (मैरीन टेलिस्कोप)तैयार की जा रही है, जो पनडुब्बी के जरिए 20 किलोमीटर तक समुद्र में निगरानी कर सकेगी। देहरादून स्थित देश के प्रमुख रक्षा संस्थानों में शुमार इंस्ट्रूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (आईआरडीई)में ये टेलिस्कोपिक डिवाइस तैयार की जा रही है। अगले दो से तीन वर्षो के भीतर ये मेगा डिवाइस तैयार हो जाएगी और इंडियन नेवी में शामिल होगी।

26/11 अटैक के बाद महसूस हुई जरूरत

समुद्री रास्तों से देश में घुसपैठ करने वालों की निगहबानी में अब देश और मजबूत होगा। समुद्री निगरानी में ज्यादा मजबूत न होने का खामियाजा मुंबई के 26म्/11 अटैक के रूप में देश भुगत चुका है। इसके बाद से ही समुद्री सीमाओं की निगहबानी को मजबूत करने की जरूरत महसूस हुई और आईआरडीई इस मुहिम में जुट गया। दून स्थित आईआरडीई के साइंटिस्ट्स पिछले साढ़े तीन वर्षो से 20 किलोमीटर एरिया तक को कवर करने वाले मैरीन टेलीस्कोप को तैयार कर रहे हैं। इसका ट्रायल हो चुका है जो सक्सेसफुल रहा, अब इसे फाइनल टच दिया जा रहा है, जिसमें ढाई से तीन वर्ष का और समय लगेगा।

20 किलोमीटर तक निहगबानी

आईआरडीई के साइंटिस्ट पुनीत वशिष्ठ के मुताबिक मैरीन टेलीस्कोप पानी में सबमैरीन के साथ अटैच्ड रहेगा। लेकिन जरूरत पड़ने पर ये ऑटोमेटिकली बाहर आ जाएगा। चारों तरफ निगरानी के बाद जो भी ऑब्जेट टेलिस्कोप की रेंज में होगा उसकी इमेज कैप्चर कर लेगा और फिर सबमैरीन में चला जाएगा। बताया जा रहा है कि 20 किलोमीटर की रेंट तक इसका दायरा होगा। साइंस्टि्स की मानें तो अब तक इस प्रकार की टेक्नोलॉजी वाले चुनिंदा देश ही हैं। जिसमें अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी व चाइना प्रमुख हैं। जानकार बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी के ईजाद होने के बाद भारत इन देशों के समकक्ष खड़ा हो जाएगा। आईआरडीई की दो लैब इस टेलिस्कोप को तैयार कर रही हैं।

रशियन टैंक के लिए बनाए टेलिस्कोप

रशिया में निर्मित टी-72 व टी-90 टैंक में भी आईआरडीई दून द्वारा ही तैयार टेलिस्कोप इंस्टॉल किए गए हैं। आईआरडीई के साइंटिस्ट्स के मुताबिक इन दोनों टैंक में पहले सिर्फ 500 मीटर तक दूरी तक निगरानी करने वाले टेलिस्कोप लगे थे, डीआरडीई द्वारा इंस्टॉल किए गए टेलिस्कोप के बाद इनकी निगरानी क्षमता 5 किलोमीटर तक हो गई। रशिया के कुछ टैंक में ये टेलिस्कोप इन्स्टॉल किए जा चुके हैं, कुछ में होने बाकी हैं। स्वदेशी अर्जुन टैंक में भी टेलिस्कोपिक डिवाइज डीआरडीई द्वारा निर्मित है, वहीं इंडियन आर्मी के पास मौजूद इंसास राइफल में नाइट विजन टेक्नोलॉजी भी डीआरडीई द्वारा तैयार की गई है।

Posted By: Inextlive