आयरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी जिन्होंने देश भर में फैली अव्यवस्था और अराजकता को दबाने के लिए भारत को दिया एक ऐसा शौक ट्रीटमेंट जिसे हम इमरजेंसी के नाम से जानते हैं। 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने वाली इंदिरा गांधी को एक दमदार और कभी-कभी तानाशाह नेता के रुप में भी जाना जाता है। देश हित में कड़े डिसीजन लेने वाली इंदिरा गांधी के जीवन के 'शी चैप्टर' के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आखिर क्या है वो 'शी चैप्टर' जिसे लेकर सालों बाद भी तमाम गुपचुप बातें होती हैं लेकिन सामने कुछ नहीं आता। आइए आज इंदिरा गांधी के जन्मदिन के मौके पर हम भी इस 'शी चैप्टर' को समझने की कोशिश करते हैं।

आयरन लेडी के निजी जीवन से जुड़ा था किताब का एक कथित चैप्टर
भारत की आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली इंदिरा गांधी ने देश हित में और भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर तमाम ऐसे कठोर फैसले लिए जिन्हें सालों बाद भी आज पूरा देश याद करता है। आज यानी 19 नवंबर के दिन साल 1917 में इंदिरा गांधी का जन्म हुआ था। यूं तो उनकी पर्सनल लाइफ से लेकर उनके राजनीतिक करियर और विवादों से जुड़े तमाम किस्से मशहूर हैं, लेकिन पिछले दिनों सोशल मीडिया पर इंदिरा गांधी के बारे में एक स्टोरी काफी चर्चित रही है। उनकी बेहद पर्सनल लाइफ से जुड़ी इस स्टोरी के चर्चित होने के पीछे वजह है एक किताब। जी हां जवाहरलाल नेहरु के निजी सचिव एम ओ मथाई ने साल 1978 में एक किताब लिखी थी। 'रेमिनिसन्स ऑफ नेहरू एज' इस किताब में कथित रूप से लिखे गए शी चैप्टर को लेकर तमाम बातें हो रही हैं, लेकिन शायद इस बारे में कोई कुछ नहीं जानता या फिर जानता भी है तो उसे अपने भीतर ही दबाकर रखना चाहता है।

 

आखिर क्या था यह 'शी चैप्टर'
सोशल मीडिया पर बताया जा रहा है कि 'शी चैप्टर' इस किताब का एक प्रमुख चैप्टर था जिसे प्रकाशन के समय किताब से हटा दिया गया। इसके पीछे की वजह भी काफी दिलचस्प बताई जा रही हैं कि इस चैप्टर में कई ऐसी बातें थी जिन्हें आपत्तिजनक माना जाता है। इंदिरा गांधी को लेकर लिखे गए इसी चैप्टर को लेकर मुख्य रूप से दो तरह के दावे किए जा रहे हैं। पहला दावा यह है कि इस किताब में ऐसा कोई चैप्टर था ही नहीं सिर्फ किताब की फ्री पब्लिसिटी करने के लिए ऐसे मनगढंत चैप्टर को प्रचारित-प्रसारित किया गया। दूसरी और एक दावा यह कहता है कि इस किताब में सच में एक 'शी चैप्टर' था जिसमें इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव एम ओ मथाई के कथित संबंधों को लेकर कई बेहद निजी जानकारियां लिखी गई थीं, लेकिन इसे किताब में नहीं छापा गया।


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'शी चैप्टर' को लेकर कुलदीप नैयर का बयान
देश के फेमस पत्रकार कुलदीप नैयर इस किताब और उसके शी चैप्टर को लेकर बताते हैं कि साल 1977 में इमरजेंसी के दौरान उनकी एक किताब 'द जजमेंट' छपकर बाजार में आई थी। उसी दौरान एम ओ मथाई की लिखी किताब 'रेमिनिसन्स ऑफ नेहरू एज' को पब्लिश करने जा रहे विकास पब्लिकेशन ने उन्हें इस किताब की हैंड रिटेन कॉपी भेजी और उनसे पूछा कि इसे छापा जाए या नहीं। इसके बाद कुलदीप नैयर ने उनको बोला कि शी चैप्टर' को हटाकर बाकी सब छाप सकते हैं। कुलदीप नैयर ने शी चैप्टर को लेकर बीबीसी को बताया था कि उन्होंने यह चैप्टर और पूरी किताब नहीं पढ़ी क्योंकि उन्हें उस में कुछ खास दिलचस्पी ही नहीं थी।

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शी चैप्टर को लेकर पब्लिकेशन हाउस का बयान बिल्कुल उलटा
जहां एक और कुलदीप नैयर 'शी चैप्टर' और उसमें मौजूद कुछ आपत्तिजनक जानकारियों की बात करते हैं वही 'रेमिनिसन्स ऑफ नेहरू एज' को छापने वाले विकास पब्लिशिंग हाउस के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेंद्र कुमार कहते हैं कि सच तो यह है कि इस किताब को छापने के लिए मथाई की तरफ से जो कंटेंट आया था उसमें ऐसा 'शी चैप्टर' नाम का कुछ भी नहीं था। जब ऐसा चैप्टर था ही नहीं तो उसे छापने की बात ही कहां से पैदा होती है। पब्लिकेशन हाउस ने तो कुलदीप नैयर के दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया। साथ ही यह भी कह दिया कि कुलदीप नैय्यर ऐसा क्यों कह रहे हैं उन्हें नहीं पता। वैसे भी हमारे यहां हर रोज सैकड़ों किताबें छपती हैं क्या-क्या याद रखा जाए।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जवाहरलाल नेहरू के निजी सचिव द्वारा लिखी गई इस किताब में कथित रूप से मौजूद 'शी चैप्टर' का राज एक राज ही बनकर रह गया है जिसके बारे में जानने वाले भी उसके बारे में बताने से कतराते हैं

Posted By: Chandramohan Mishra