दो ही दिनों में दो बड़ी फिल्मी हस्तियों का दुनिया छोड़ जाना न केवल रंगमंच के कलाकारों बल्कि फिल्मी जगत और उनके फैंस पर भी दुखों का पहाड़ टूटने जैसा है। एक तरफ जहां आंखों से किरदार को जिंदा कर देने वाले इरफान खान मंगलवार को अपने आखिरी सफर के लिए रूखसत हुए। वहीं बुधवार सुबह बॉबी से पहचान बनाने वाले कपूर खानदान के सदाबाहर एक्टर चिंटू जी यानी ऋषि कपूर दुनिया को अलविदा कह गए।

मेरठ (विकास चौधरी) बॉलीवुड की दुनिया से कला के फन के माहिर दोनों दिग्गजों का अचानक यूं जाना आज हर किसी को अखर रहा है। दादा साहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवार्ड से सम्मानित मेरठ के फिल्म फोटोग्राफर ज्ञान दीक्षित की मानें तो ऋषि कपूर जाते-जाते अपने साथ फिल्मी दुनिया के एक पूरे युग को ले गए। वहीं यूपी इप्टा के उपाध्यक्ष शांति वर्मा का कहना है कि कपूर खानादान से एक्टिंग की बदौलत जो नाम ऋषि कपूर ने बनाया वो अपने दादा पृथ्वीराज कपूर के मुकाम को बहुत आगे ले जाने वाला है। वहीं मुंबई में रह रहे मेरठ में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले जीशान कादरी का कहना है कि इरफान भाई ने अपनी अदाकारी से बॉलीवुड और अपने फैंस के लिए जो शून्य छोड़ा है, वो भर पाना किसी के लिए मुमकिन नहीं। वहीं उतरन और फुलवा से अभिनय की दुनिया की शुरूआत करने वाले मेरठ के अजय का कहना है कि फिल्मी जगत में अब कोई दूसरा इरफान नहीं हो सकता।

फिल्म उद्योग, कलाकारों और उनके फैंस के लिए बहुत बड़ी क्षति

बंटी राठौर, फिल्म लेखक- इरफान खान और ऋषि साहब का जाना फिल्म उद्योग, कलाकारों और उनके फैंस के लिए बहुत बड़ी क्षति है। 2014 में आई द एक्पोस फिल्म के डायलॉग मैंने लिखे थे। इस फिल्म में बतौर अभिनेता इरफान भाई ने मेरे लिखे डायलॉग बोले थे ये मेरे लिए बड़ी बात है। उस वक्त डायलॉग नेरेशन के दौरान उनके साथ लंबा सेशन होता था। जिससे पता चला कि वह जादुई एक्टर होने के साथ-साथ एक बेहतर इंसान थे। ऋषि साहब से मेरी एक ही मुलाकात हुई थी अॉल इज वेल फिल्म के सेट पर मडायलैंड में। दरअसल, फिल्म के डायरेक्ट उमेश मेरे दोस्त थे और उन्होंने ये कहकर मिलवाया था कि ये बंटी है और इसने कई फिल्में लिखी हैं। जब उन्हें फिल्म के नाम बताए तो वो बोले अरे सारी कॉमिक फिल्में हैं। उन्हें पता चला कि मैं यूपी के मेरठ से हूं तो वो बोले, अरे यूपी का ह्यूमर तो माइंड ब्लोइंग होता है। आज उनकी ये लाइन मेरे लिए यादगार बन गई हैं।

इरफान भाई और ऋषि साहब को लेकर एक प्रोजेक्ट पर बात चल रही थी

जीशान कादरी, फिल्म निर्देशक व लेखक- मेरी ऐसी किस्मत नहीं रही कि उनके साथ काम कर पाता लेकिन उनके साथ उनके मडायलैंड वाले घर पर अक्सर किसी न किसी प्रोजेक्ट को लेकर लंबी बातचीत हुआ करती थी। लास्ट बार 2019 फिल्म अभिनेता दीपक डोबरियाल जो मेरे अच्छे दोस्त हैं, उनके फोन पर ही इरफान भाई से बात हुई थी। उन्होंने बोला था कि लंबा समय हो गया मुलाकात को, जल्द आकर मिलता हूं। मगर ये किसे पता था कि उनके अंतिम दर्शन भी नहीं हो पाएंगे। 2017 की बात है जब इरफान भाई और ऋषि साहब को लेकर एक प्रोजेक्ट पर बात चल रही थी। हालांकि बाद में उन्हें कैंसर डिटेक्ट हुआ और फिर बस सब अधूरा रह गया।

हाल ही में उनके साथ एक वेब सीरिज में काम शुरू करने वाला था :

अजय चौधरी, अभिनेता- मेरे लिए तो इरफान खान उन दिनों से एक इंस्पीरेशन थे, जब मैं साल 2004 में मेरठ से मुंबई गया था। मुबंई में मैंने थियेटर का कोर्स किया और साथ ही काम की तलाश करने लगा। ये इत्तेफाक ही था कि वो गेस्ट लेक्चरर के तौर पर मुझे पढ़ाने भी आने लगे। उनकी बातें और उनसे मुलाकात करके ये कभी नहीं लगा कि मैं कला की माहिर दुनिया के एक मंझे हुए कलाकार से मुखातिब हो रहा हूं। उनकी अदाकारी से निकले हर तीर को मैंने अपने पास संजोकर रखा है। हाल ही में उनके साथ एक वेब सीरिज में काम शुरू करने वाला था लेकिन प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले ही सब कुछ मानो खत्म हो गया। इरफान भाई का यूं जाना, विश्वास से परे है।

ऋषि कपूर ने किसी को फॉलो नहीं किया

शांति वर्मा, यूपी उपाध्यक्ष, इप्टा- बहुत पुरानी बात है जब पृथ्वीराज कपूर अपनी टीम के साथ मेरठ आए और इप्टा में रुके थे। ईव्ज सिनेमा में उन्होंने प्ले भी किया था। हमने उनके साथ काम किया वो बड़े रंगकर्मी थे। वहीं राजकपूर साहब फिल्म में काम करते थे तो पता लग जाता था कि राज साहब ने काम किया है। मगर ऋषि कपूर ने किसी को फॉलो नहीं किया, उन्होंने अपना एक स्टाइल और एक अलग नाम बनाया। हर फिल्म में नई जर्सियों का क्लेक्शन देखकर उस जमाने में लोग दीवाने हो जाया करते थे। आज उनका जाना मेरे और मेरे जैसे सभी कलाकार के लिए बेहद दुखद है।

इंसान के तौर पर वह बहुत मूडी थे

ज्ञान दीक्षित, फिल्म फोटोग्राफर- मेरी उनसे अच्छी जान-पहचान थी। 1980 में सुभाष घई की फिल्म कर्ज की शूटिंग चल रही थी। वहां मेरे एक कोरियोग्राफर दोस्त कमल, जो उस दौर का बड़ा नाम था उन्हीं के जरिए मेरी मुलाकात ऋषि कपूर के साथ हुई। ब्लैक एंड व्हाइट का जमाना था तो मैंने काफी फोटो खींचे थे कर्ज के सेट पर ऋषि कपूर। उसके बाद फिर महबूब स्टूडियो में प्रेम रोग की शूटिंग के दौरान भी स्टिल फोटोग्राफी की थी। एक एक्टर के तौर पर उन्हें जमाना जानता है लेकिन एक इंसान के तौर पर वह बहुत मूडी थे। उनका मन हुआ था तो कोई उनके सैंकड़ों फोटो खीच लो लेकिन अगर उनका मूड नहीं है तो वो कहते थे आज नहीं फिर कभी बाद में।

ऋषि एक बेहतरीन अभिनेता के साथ सदाबहार इंसान भी थे

देवेश त्यागी, संचालक, नंदन सिनेमा- ऋषि कपूर से पहली मुलाकात तब हुई राजीव कपूर के निर्देशन में प्रेम ग्रंथ फिल्म का दिल्ली में प्रीमियर शो था। इसके अलावा जब आ अब लौट चलें फिल्म बनी तब ऋषि कपूर से मुलाकात हुई। ऋषि एक बेहतरीन अभिनेता के साथ सदाबहार इंसान भी थे।

उनका स्टाइल था जो हर किसी को उनका फैन बना देता था

दीपक सेठ, संचालक, निशात सिनेमा- निशात में राज कपूर से लेकर ऋषि कपूर तक की सारी फिल्में लगती थी। आ अब लौट चले फिल्म के प्रीमियर शो पर ऋषि साहब से मुलाकात हुई तो ऐसा लगा कि एक बड़े स्टार से नहीं बल्कि आम इंसान से बात कर रहा हूं। यही तो उनका स्टाइल था जो हर किसी को उनका फैन बना देता था।

यह हीरो व्यवहार में कितना सरल और सौम्य है

अजय गुप्ता, अध्यक्ष, सिने एक्सीविटर्स एसोसिएशन- ऋषि कपूर की फिल्मों में दर्शकों को हर मसाला मिलता था। उनसे दिल्ली में प्रीमियर शो के दौरान जब मुलाकात हुई तो लगा नही की कपूर खानदान का यह हीरो व्यवहार में कितना सरल और सौम्य है। उनके जाने से फिल्म इंडस्ट्री को बड़ा झटका लगा है। उनकी फिल्में मन को सुकून देती थी।

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Posted By: Mukul Kumar