आखिर हम क्‍या कहना और पूछना चाह रहे हैं। भाई बात सीधी सी है दिल्‍ली में न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे में टीम इंडिया को मिली हार की एक खास वजह रही कभी बेस्‍ट मैच फिनिशर कहे जाने वाले कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी की नाकामयाबी भी थी। धोनी को सालों से इंडियन क्रिकेट टीम का सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी माना जाता रहा है। हर क्रिकेट फैन मानता है कि अगर मैच के आखीर में धोनी खेलने उतरे हैं तो रन कितने भी हों जीत भारत की ही होगी और ऐसा हुआ भी है। 2011 के वर्ल्‍ड कप में भारत की जीत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। लेकिन जीहां अब यही लेकिन लोगों के दिल में घर बनाने लगा है आखिर क्‍यूं।

अगर है धोनी तो अनहोनी बन जायेगी होनी?
एक दौर था तो क्रिकेट फैन्स का ये विश्वास था कि अनहोनी को होनी कर देगा महेंद्र सिंह धोनी। उनका ये विश्वास बिना वजह भी नहीं था। बीते कई मौके ऐसे थे जब उन्होंने साबित किया कि वो अपने दम पर भारत मैच जिता कर लाये थे। इसीलिए उन्हें बेस्ट मैच फिनिशर का खिताब भी दिया गया था। उन्होंने एक आईपीएल मैच के अंतिम ओवर में 23 रन धोनी बनाने का कमाल किया था। बांग्लादेश के खिलाफ दो छक्के लगाकर मैच जिताया था तो 2013 में वेस्ट इंडीज और श्रीलंका के साथ हुई ट्राई सीरीज़ के फाइनल मैच में अंतिम ओवर में छक्का लगाकर जीत भी उन्होंने ही दिलाई थी। लेकिन ये सब हुआ था! बात जो परेशान कर रही है वो है जो हो रहा है। धोनी का मैजिकल टच खो रहा है।

दिल्ली में हुई हार के बाद सवाल
इन दिनों न्यूजीलैंड के साथ चल रही एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों की सीरिज में जो कुछ दिल्ली में खेले गए दूसरे मैच के दौरान हुआ, वो बता रहा है कि शायद धोनी का जादू फीका पड़ रहा है। इस मैच को जीतने के लिए भारत को महज आठ रन चाहिए थे और बेस्ट फिनिशर धोनी क्रीज पर थे, पर वो चूक गए, भारत छह रन से मैच हार गया। सबसे बड़ी बात है कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ पिछले कई बार से ऐसा हो रहा है। धोनी पर ये भरोसा कि वो मैच जिता कर आयेंगे लगातार टूट रहा है। आइये जाने ऐसे तीन मौके जब धोनी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और भारत हार गया।

कुछ मौके जब धोनी नहीं साबित हुए बेस्ट फिनिशर
2012 में भी न्यूजीलैंड के खिलाफ ही खेलते हुए भारत को 167 रन का लक्ष्य मिला था और विराट कोहली 41 गेंद में 70 रन बना कर जीत की बुनियाद रख चुके थे। जब धोनी खेलने आये तो युवराज सिंह मैदान पर थे और भारत को 42 गेंद में जीत के लिए 49 रन चाहिए थे। धोनी अंत तक लंबे शॉट लगाने से बचते नजर आये और धोनी ने 23 गेंद में 22 रन ही बनाये। भारत ये मैच हार गया। इसके बाद वर्ल्ड टी 20 के फाइनल मुकाबले में भी यही कहानी दोहरायी गयी जब विराट कोहली की दमदार शुरूआत के बावजूद धोनी के ल्उ़खाये अंदाज के चलते भारत 130 रन बना सका और हार गया। जिम्बाब्वे के खिलाफ पहले टी20 मैच के आखिरी ओवर में भी धोनी 8 रन भी नहीं बना पाए थे, और ज़िम्बाब्वे के खिलाफ सीरीज के दूसरे मैच में भी धोनी ने 13 गेंद पर बस 9 रन ही बना सके। 2014 में भी इंग्लेंड के खिलाफ मैच में ऐसा ही कुछ हुआ जब धोनी ने अंतिम सात गेंद में तीन बार सिंगल नहीं लिए और आखिरी गेंद पर विजयी रन बनाने का जिम्मा खुद ले लिया। उनका यह दांव फेल हो गया और भारत पांच रन से हार गया।

 

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Posted By: Molly Seth