और गहराई अमेरिका की debt crisis. 2 अगस्त से मंदी के शुरू होने का खतरा. दुनिया की इकॉनमिक पावर माने जाने वाले अमेरिका पर प्रति सेकेंड 40 हजार डॉलर 18 लाख रुपए का डेब्ट बढ़ रहा है


अमेरिका का डेब्ट क्राइसिस और गहराता जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगर 2 अगस्त तक देश की डेब्ट कैपेसिटी को बढ़ाकर 14.3 खरब डॉलर (6435 लाख करोड़ रुपए) नहीं किया गया तो अमेरिकन इकॉनमी चरमरा सकती है. अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया एक बार फिर रिसेशन की चपेट में आ सकती है. अगर डेब्ट लिमिटेशन नहीं बढ़ाया तो ओबामा गवर्नमेंट को बकाया न चुकाने की शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ेगा. हर सेकेंड बढ़ रहा कर्ज अमेरिकन डेब्ट क्राइसिस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया की इकॉनमिक पावर माने जाने वाले अमेरिका पर प्रति सेकेंड 40 हजार डॉलर (18 लाख रुपए) का डेब्ट बढ़ रहा है. जानकार मानते हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी माने जाने वाले अमेरिका पर आ रहे इस संकट का दुनिया पर असर पडऩा लाजिमी है. कंज्यूमर्स भी आएंगे चपेट में 
अमेरिका में फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस और बैंकिंग इंडस्ट्री क्रेडिट रेटिंग गिरने और उससे इकॉनमी को एक्स्ट्रा इंट्रेस्ट के तौर पर होने वाले 100 अरब अमेरिकन डॉलर के नुकसान को झेलने की तैयारी में जुट गई हैं. इस नुकसान की चपेट में कंज्यूमर्स और इकॉनमी दोनों आएंगे.

Posted By: Divyanshu Bhard