मिशन दाखिला

-1962 में बना इस्माईल डिग्री कॉलेज

- 300 हजार से अधिक छात्राएं पढ़ती हैं कॉलेज में

मेरठ- शहर के ग‌र्ल्स पीजी कॉलेज में इस्माईल पीजी कॉलेज का अपना ही नाम है। प्राइमरी लेवल से शुरू हुआ ये कॉलेज धीरे- धीरे शहर भर में डिग्री कॉलेज के रूप में पहचान बना चुका है। कॉलेज 1940 में हाईस्कूल में अपग्रेड हुआ था। इसके बाद 1962 में डिग्री कॉलेज के रूप में इसकी स्थापना हुई।

विभिन्न कोर्सेज हैं यहां

स्नातक स्तर पर भाषाओं के साथ ही कॉलेज में ड्राइंग एंड पेंटिंग में प्रवेश के लिए छात्राओं की भारी भीड़ रहती है। कॉलेज में हिंदी, उर्दू, संस्कृत, इंग्लिश सहित चार भाषाओं को चुनने का विकल्प भी है। इसके अलावा लैंग्वेज लैब की भी व्यवस्था है। खास बात यह है कि बुढ़ाना गेट स्थित इस कॉलेज में पिछले कुछ सालों में बहुत बदलाव हुए हैं। यह कॉलेज पूरी तरह से वाईफाई हो गया है। कॉलेज में लिफ्ट की व्यवस्था भी है। कॉलेज में सीसीएसयू से संबंधित कोर्स के अलावा महर्षि राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी से भी डिप्लोमा कोर्स या सर्टिफिकेट कोर्स किए जा सकते हैं। कॉलेज पहुंचने के लिए प्रमुख स्थलों पर बसों के भी इंतजाम हैं।

कॉलेज में हैं यूजी कोर्स

कॉलेज में बीए, बीकॉम, बीएससी में प्रवेश का विकल्प है। बीएससी में पीसीएम कॉम्बीनेशन हैं। हालांकि कॉलेज में बीएससी मैथ्स, बीकॉम व होम साइंस सेल्फ फाइनेंस स्कीम में हैं। बीए में अर्थशास्त्र, संगीत, राजनीति विज्ञान, मनोविज्ञान, शारीरिक शिक्षा, हिंदी, उर्दू, इंग्लिश, संस्कृत, ड्राइंग, समाजशास्त्र, होम साइंस विषय उपलब्ध हैं। वोकेशनल कोर्स में कम्प्यूटर कोर्स की सुविधा हैं। कॉलेज में गांधी अध्ययन केंद्र में डिप्लोमा कोर्स का विकल्प है।

20 सालों में रजिस्ट्रेशन के हाल

कोर्स सीट रजिस्ट्रेशन

बीए 640 2935

बीकॉम 80 850

बीएससी 160 487

ये भी है जाने

- नैक से ए ग्रेड स्टेटस।

- ऑटोमेटिक लाइब्रेरी।

- ऑफिस व विभाग इंटरकनेक्ट

- वाईफाई कैंपस

- रेंजर्स व एनएसएस यूनिट

- लिफ्ट

- महर्षि राजर्षि टंडन ओपन यूनिवर्सिटी सेंटर

- गांधी अध्ययन केंद्र

- स्मार्ट क्लासेज

- काउंसिलिंग सेल

- कैंटीन व हॉस्टल नहीं है।

- प्रसिद्ध शायर मो। इस्माईल मेरठी ने किया स्थापित

- छात्राओं के लिए जिम

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वर्जन

कॉलेज में बेहतर से बेहतर सुविधाएं व बेहतर एजुकेशन देना हमारा उद्देश्य है। इसी उद्देश्य से छात्राओं को एजुकेशन देने का प्रयास किया जाता है।

डॉ.साधना सहाय, प्रिंसिपल,

Posted By: Inextlive