Jamshedpur: करोड़ो रुपए की बिल्ंिडग और उसमें लाखों के फ्लैट्स लेकिन डिजास्टर मैनेजमेंट के नाम पर कुछ नहीं. जी हां सिटी में बने अपार्टमेंट्स में कहीं भी आपको लाइटनिंग से बचाव का जरिया नहीं मिलेगा. उधर गवर्नमेंट बिल्डिंग्स के हालात भी कुछ अच्छे नहीं हैं. यही कारण है कि सिटी में बारिश के मौसम में खतरा बना रहता है.

Permit में होता है जिक्र
सिटी में लोकल यूनिट्स यानी जेएनएसी, एमएनएसी या फिर जुगसलाई नगरपालिका द्वारा बिल्डर्स को जो परमिट दिया जाता है उसमें तडि़त चालक यानी लाइटनिंग रॉड लगाने का जिक्र होता है। बिल्डिंग में लाइटनिंग रॉड लगाना रूल में शामिल है, लेकिन न तो बिल्डर्स और न ही संबंधित विभाग इस ओर ध्यान देता है।

नहीं लगे हैं lightning rod
सिटी में कई गवर्नमेंट बिल्डिंग्स हैं, जिनमें लाइटनिंग रॉड नहीं लगाए गए हैं। जबकि गवर्नमेंट बिल्डिंग में इसे लगाने का प्रोविजन है। इसके अलावा प्राइवेट बिल्डिंग्स में भी तडि़त चालक लगाना जरूरी है। हालांकि नक्शा पास कराते वक्त इसका जिक्र नहीं होता, लेकिन परमिट जारी करते समय इसे लिखा जरूर जाता है।

Danger zone में ये हैं शामिल
झारखंड डिजास्टर पॉलिसी में लाइटनिंग का भी जिक्र है। इसमें स्टेट के सात डिस्ट्रिक्ट को सेंसेटिव माना गया है। इनमें इस्ट सिंहभूम के अलावा रांची, पलामू, चतरा, लातेहार, कोडरमा और गिरिडीह शामिल है। यहां इससे प्रभावित होने वाले लोगों के लिए स्टेट गवर्नमेंट की ओर से फंड भी दिया जाता है। बिजली गिरने से प्रभावित होने वाले लोगों को तत्काल 10 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाती है। इसके अलावा जांच के बाद 1.50 लाख रुपए तक मुआवजा का प्रावधान है। इंफॉर्मेशन के मुताबिक डिस्ट्रिक्ट को आपदा राहत फंड के रूप में इस फाइनेंशियल इयर में दो करोड़ रुपए मिले हैं।

ताकि कोई हादसा न हो
गवर्नमेंट स्कूल में तडि़त चालक लगाए गए हैं। जहां सैकड़ों की संख्या में बच्चे पढऩे जाते हैं। बारिश के दौरान बिजली गिरने से कोई हादसा न हो, इस कारण स्कूल बिल्डिंग्स में लाइटनिंग रॉड लगाए जाते हैं। इसके विपरित डिस्ट्रिक्ट कलेक्ट्रेट, एसएसपी ऑफिस, एसडीओ ऑफिस, एमजीएम हॉस्पिटल सहित अन्य गवर्नमेंट ऑफिसेज में लाइटनिंग रॉड नहीं लगाए गए हैं। इस कारण यहां खतरा बना रहता है।

ये बिल्डिंग्स पहले की बनी हुई है। शायद इसी लिए इनमें तडि़त चालक नहीं लगा है। इसकी जानकारी लेने के बाद इस विषय में कोई निर्णय लिया जाएगा। जहां तक फंड का सवाल है तो आपदा प्रबंधन के लिए हमें फंड नहीं मिला है।
-सुबोध कुमार, एसडीओ, धालभूम
बिल्डिंग बायलॉज में ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है। हालांकि परमिट में तडि़त चालक लगाने की बात लिखी जाती है। कुछ लोगों ने लगाया है। नहीं लगाने पर म्यूनिसिपल एक्ट में फाइन का भी प्रावधान है।
-अजय कुमार सिंह, असिस्टेंट इंजीनियर एमएनएसी


Posted By: Inextlive