Central Air Command की closing ceremony
बम्हरौली एयरपोर्ट फुलइस सेरेमनी में चीफ गेस्ट गवर्नर बीएल जोशी रहे। प्रोग्राम में एयरफोर्स के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ जेएस चौहान ने गेस्ट्स का वेलकम किया। इस सेरेमनी में एनसीआर के जीएम आलोक जौहरी, मेजर जनरल विश्वंभर दयाल, एसएसपी मोहित अग्रवाल सहित सीनियर ऑफिसर्स मौजूद रहे। सेंट्रल एयर कमांड के इन 50 सालों की उपलब्धि भरे सफर पर गवर्नर ने फस्र्ट डे कवर भी रिलीज किया। इस शानदार शो का लुत्फ उठाने के लिए सुबह से ही बम्हरौली एयरपोर्ट दर्शकों से हाउस फुल हो गया था.
हैरतअंगेज शुरुआतसेलिब्रेशन की शुरुआत एयर वारियर्स के ड्रिल टू थ्रिल से हुई। एयर वॉरियर्स के अद्भुत प्रदर्शन में शामिल इस शो का पहली बार इलाहाबाद में प्रदर्शन किया गया था.18 मेंबर्स की इस टीम ने शानदार तरीके से टनल फॉर्मेशन, पलक झपकते ही एक्सचेंज और राइफल के साथ बेहतरीन कदमताल का नजारा पेश कर दर्शकों का खूब एंटरटेन किया। इस शानदार शो से दर्शकों की आंखें हट भी नहीं पाई थी कि नीले आकाश में गडग़ड़ाते फाइटर प्लेन पर आंखें जा टिकीं। 2500 किमी प्रति घंटा की स्पीड से उड़ रहे मिराज-2000, सुखोई-30 व जगुआर को देखने के लिए दर्शक उठ खड़े हुए। सबसे पहले गोरखपुर बेस से जगुआर, फिर ग्वालियर बेस से मिराज व बरेली से सुखोई फाइटर बम्हरौली के आकाश में पहुंचे। ये फाइटर प्लेन तिकड़ी में एक लाइन में उड़ान भरकर सबको बेहद रोमांचित किया। यह एयर शो इलाहाबादियों का याद रहेगा.
4000 फीट का फासला सिर्फ 22 सेकंड में करीब एक घंटे से ज्यादा चले इस शो के दौरान दर्शकों को आकाश से आंखें हटाने का मौका तक नहीं मिल पाया। फाइटर प्लेन के बाद एयरफोर्स की आकाश गंगा के जांबाजों ने पैरा ग्लाइडिंग का शानदार प्रदर्शन किया। जमीन से आठ हजार फीट की ऊंचाई से कूदे पैरा ग्लाइडर्स को देखने के लिए दर्शकों को नजरें गड़ानी पड़ी। इस टीम ने एएन-32 जहाज से छलांग लगाई तो आकाश में सफेद बिंदु की तरह नजर आ रहे थे। करीब 4000 फीट तक पहुंच जाने के बाद 10 मेंबर्स की टीम ने पैराशूट ओपेन किया। आकाश में 4000 फीट का यह सफर 20-22 सेकंड में तय हो जाता है। आकाश गंगा की टीम को लीड विंग कमांडर सरदार सलीम बेग ने किया। पैराशूट ओपेन होने के बाद आकाश में रंग-बिरंगी तितलियों की तरह पैरा ग्लाइडर्स नजर आ रहे थे। पैराशूट खोलने के बाद करीब 4000 फीट की दूरी को 8 से 10 मिनट में पूरा करते हुए इन्होंने ग्राउंड में लैंडिंग की.हवा में लहराते प्लेन से उतरे कमांडो
सेंट्रल एयर कमांड की स्थापना 1962 में चाइना के अटैक के बाद 10 जून 1963 को कोलकात्ता में की गई थी। बाद में 1966 में इस कमांड को इलाहाबाद में शिफ्ट कर दिया गया था। इस कमांड का एरिया उत्तर में बर्फीले पहाड़ों से लेकर मिडिल इंडिया के उच्च पठारों तक फैला हुआ है। 1965 व 1971 में पाकिस्तान से हुए वार में इस कमांड ने इंपोर्टेट रोल अदा किया था। करगिल युद्ध में भी मिराज स्कवाड्रन ने निर्णायक भूमिका निभाई थी। सेंट्रल एयर कमांड ने गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन में पूरे साल डिफरेंट प्रोग्राम आयोजित किए है सेंट्रल एयर कमांड के गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन का हिस्सा बनकर मुझे गर्व हो रहा है। एयरफोर्स में सेंट्रल एयर कमांड एक संगम की तरह है, जिसमें हाइटेक वेपंस, मार्डन टेक्नोलॉजी के साथ ही वो पब्लिक की सेवा में भी अग्रसर रही है। पिछले 50 सालों में सेंट्रल एयर कमांड का शानदार इतिहास रहा है. -बीएल जोशी, गवर्नरगोल्डन जुबली सेलिब्रेशन में दर्शकों के लिए सरप्राइज में गरुड़ कमांडों का प्रदर्शन भी शानदार रहा। एयरफोर्स के बेहद स्ट्रांग एमआई-17 हैलीकाप्टर से गरुड़ कमांडो बम्हरौली ग्राउंड पर उतरे। जमीन से करीब 70 फीट की ऊंचाई में ठहरे हुए जहाज से वेपंस से लैस गरुड़ कमांडो ग्राउंड पर उतरे और पोजिशन ली। बता दें कि गरुड़ कमांडो खतरनाक कमांडो टीम मानी जाती है। बेहद विषम परिस्थितियों में एयरफोर्स द्वारा कमांडों की इस टुकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है.
ग्राउंड पर भी कम सेलिब्रेशन नहीं आमतौर पर फाइटर प्लेन का एयर शो, डिल टू थ्रील जैसी एयर वारियर्स की एक्टिविटी पब्लिक को देखने को नहीं मिलती है। ऐसे में गोल्डन जुबली सेलिब्रेशन की इस क्लोजिंग सेरेमनी में आडियंस में भी जबरदस्त उत्साह रहा। हर कोई इन अद्भुत व रोमांचक सीन को कैमरे में कैद करता हुआ नजर आया। स्टूडेंट्स स्निग्धा भाटिया कहती है कि मैंने इस तरह के सीन सिर्फ फिल्मों में ही देखे थे, यहां आकर पता चला कि हमारी एयरफोर्स बहुत स्ट्रांग है। वहीं नेहा सिंह कहती हैं कि इस शो को देखने के बाद मैंने डिसाइड किया कि मैं भी एयरफोर्स ज्वाइन करूंगी. वीडियो से सीखा Drill to thrillएयरफोर्स के इस शो की सबसे स्पेशल सरप्राइज एयर वॉरियर्स का ड्रिल टू थ्रील का प्रजेंटेशन रहा। इंडियन एयरफोर्स में एयर वॉरियर्स की सिर्फ एक ही टीम है जिसके द्वारा ड्रिल टू थ्रील प्रजेंट किया गया। देश के साथ ही फॉरेन में भी ये टीम द्वारा शो किया जाता है। इस टीम के 18 मेंबर्स द्वारा थ्री नॉट थ्री की 5.5 केजी की राइफल के साथ प्रदर्शन किया जाता है। बेहद एक्सपर्ट इस टीम के मेंबर्स द्वारा पलक झपकते ही राइफल बदल ली जाती है। घुमती राइफल में जवान द्वारा क्रास किया जाता है। टीम के मेंबर्स का सामंजस्य और कदमताल बेहद खास होती है। देशभर में एयरफोर्स के जवानों को इस टीम में सेलेक्शन किया जाता है। एयरफोर्स ऑफिसर्स बताते हैं कि इस तरह का शो यूरोप कंट्री की फोर्स द्वारा किया जाता है। तत्कालीन एयरचीफ मार्शल कृष्णन यूरोप के दौरे में गए थे, तो उन्होंने इस तरह का फोर्स का शो देखा। यह शो उनको बेहद पंसद आया, जिसके बाद इस शो की वीडियो फुटेज मंगाई गई और एयरफोर्स के चुने हुए वॉरियर्स को इसकी ट्रेनिंग दी गई थी। लंबी टे्रनिंग व प्रैक्टिस के बाद पूरी टीम तैयार हो पाई थी.
History of central Air command