भारत के संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है। 'परंतु' कई खास कामकाज में इंग्लिश को अनिवार्य बना दिया गया है। यदि ऐसा नहीं होता तो कोई भाषा जो किसी राष्ट्र की राजभाषा हो उसके लिए 'हिंदी दिवस' मनाने की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसा राजभाषा को उसका अधिकार दिलाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 351 में ही हिंदी के प्रचार प्रसार तथा विकास के लिए प्रावधान किया गया है।


कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 343 (1) कहता है कि संघ की राजभाषा हिंदी है तथा उसकी लिपि देवनागरी है। संघ के शासकीय काम में उपयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतराष्ट्रीय रूप है। वहीं राजभाषा अधिनियम की धारा 3 कहता है कि भले ही राजभाषा हिंदी है परन्तु हिंदी के अतिरिक्त इंग्लिश भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है। संविधान का अनुच्छेद 120 कहता है कि संसद का कामकाज हिंदी या अंग्रेजी में किया जा सकता है। परन्तु राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष विशेष परिस्थिति में सदन के किसी सदस्य को अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकते हैं।कालजयी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र के शब्दों मेंनिज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय का सूल।।


अर्थात् मातृभाषा के विकास बिना किसी भी समाज की तरक्की संभव नहीं है। अपनी भाषा के ज्ञान के बिना मन की पीड़ा को दूर करना भी मुश्किल है।सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट में इंग्लिश अनिवार्य

अनुच्छेद 348 कहता है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्टों में सभी कार्यवाहियां सिर्फ इंग्लिश में ही होंगी। हालांकि इस अनुच्छेद में राजभाषा हिंदी या प्रदेशिक भाषा को थोड़ी राहत दी गई है। यहां आगे कहा गया है कि खंड (1) के उपखंड (क) में किसी बात के होते हुए भी, किसी राज्य के राज्यपाल या राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से उस हाईकोर्ट की कार्यवाहियों में, जिसका मुख्य स्थान उस राज्य में है, हिन्दी भाषा का या उस राज्य के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाली किसी अन्य भाषा का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा। परंतु इस खंड की कोई बात ऐसे हाईकोर्ट द्वारा दिए गए किसी निर्णय, डिक्री या आदेश को लागू नहीं होगी। यहां भी 'परंतु' का इस्तेमाल कर इंग्लिश को अनिवार्य कर दिया गया।एनडीए व सीडीएस जैसी परीक्षाओं इंग्लिश अनिवार्यसंघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी तथा संयुक्त रक्षा सेवा जैसी कई परीक्षाओं में इंग्लिश भाषा अनिवार्य है। इतना ही नहीं संघ लोक सेवा आयोग द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा में एक प्रश्न पत्र इंग्लिश का अनिवार्य होता है। इस परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों की शेष विषयों की उत्तर पुस्तिका नहीं जांची जाती भले ही वह कितना भी प्रतिभाशाली हो। बिना मूल्यांकन के ही उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh