Gorakhpur : नमन शौर्य चलो टीवी बंद करो. बहुत देर से तुम दोनों कार्टून चैनल देख रहे हो. पढ़ाई नहीं करनी है क्या? इससे अच्छा तो तुम दोनों स्कूल में ही थे. यह किसी एक घर की कहानी नहींहै सिटी की लगभग हर फैमिली की यही कहानी है. आज की लाइफस्टाइल के चलते यूथ का बिहेवियर तो चेंज हो रही है छोटे बच्चे भी कार्टून नेटवर्क की चपेट में आ कर अपना बिहेवियर बदलने पर मजबूर हैं.

पढ़ाई में नहीं लगता मन
आज के माहौल में 3 से 12 साल तक के बच्चों के बिहेवियर में काफी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। इनके सबके पीछे वजह है इंटरनेट पर घंटों गेम खेलना और कार्टून चैनल देखना। जहां इंटरनेट पर घंटों कार रेसिंग और गन से खेलना उनका मनपसंद शगल बन गया है तो कार्टून चैनलस?में उनकी जान बसती है। इसके आगे वे अपनी पढ़ाई को भूलते जा रहे हैं। साइक्लोजिस्ट डॉ। धनंजय कुमार बताते हैं कार्टून नेटवर्क पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम ने बच्चों के बिहेव को पूरी तरह से चेंज कर दिया है। अब तो बच्चे टेक्स्ट मैटर पढ़ना ही नहीं चाहते हैं। वे उसी बात को मानते है जो उन्हें टीवी या इंटरनेट पर दिखता है। वहीं पैरेंट्स की मानें तो जब भी बच्चों पढ़ने को कहा जाता है वे गेम खेलने या कार्टून देखने की जिद करते हैं। पहले बच्चे चंपक, नंदन और कॉमिक्स पढ़ते तो उनमें बुक्स पढ़ने की आदत डेवलप होती थी। लेकिन आज के बच्चों में यह आदत खत्म हो रही है। वे टेक्सट पढ़ना ही नहीं चाहते।
नकल के छोटे उस्ताद
कार्टून टीवी पर दिखाए जाने वाले प्रोग्राम जैसे डॉरीमन, पावर रेंजर, रेस्क्यू फोर्स और डिजनी एडेंवेचर में दिखाए जाने कैरेक्टर को कॉपी करने में बच्चे काफी उस्ताद है.  बेतियाहाता की अन्नू बताती हैं उनका बड़ा बेटा पावर रेंजर, सुपर समराय और वेंटन  प्रोग्राम बहुत देखता है। हैरत की बात तो यह है कि इस प्रोग्राम में दिखाए जाने वाले एक्टिंग को वह हूबहू कॉपी करता है। इसके अलावा वह उनके डॉयलाग को अपनी बातचीत में यूज करता है।
पैरेंट्स से ज्यादा बच्चे देखते हैं टीवी
डॉक्टर्स की मानें तो बच्चे किसी भी फैमिली मेंबर की तुलना मे काफी टीवी देखते हैं।
घर के सदस्य के सीरियल देखने के बाद बच्चे अपना फेवरल कार्टून चैनल लगा देते हैं। उसके बाद देर रात तक टीवी देखते रहते हैं।
केस वन
मोहद्दीपुर की अंकिता बताती हैं उनका बेटा हर्षित कार्टून चैनल के सामने से हटता नहींहै। जब भी मना करो तो इरीटेट होने लगता है। नतीजा हुआ कि उसके बिहेवियर में काफी बदलाव आ गया है।
केस टू
जटाशंकर चौराहे की श्वेता पांडेय अपने बड़े बेटे अंकित को लेकर काफी परेशान है। जब भी देखों कार्टून चैनल लगाकर वह टीवी के सामने बैठ जाता है। अब नकल भी करने लगा है। डांटने पर वह अजीब बिहेव करने लगता है।
केस थ्री
राप्तीनगर की सुप्रिया और राकेश की टेंशन की एक ही वजह है उनका बेटा। वह लेटनाइट तक कार्टून देखता रहता है। कुछ करने के लिए बोलो तो सीधे मुंह बात भी नहीं करता।
केस फोर
सिविल लाइंस के अवनीश कुमार के बेटे ध्रुव का बिहेवियर भी काफी बदल रहा है। बात बात पर गुस्सा होना,?इरीटेट होना तो जैसे आम बात हो गई है। कभी कभी तो ऐसी नौटंकी करता है कि पूछो मत
Advice for parents
- घर पर पढ़ाई का माहौल बनाए। बच्चोंं के साथ?खुद भी पढ़े।
- लेट नाइट तक बच्चों को टीवी न देखने दें
- टीवी देखने का टाइम सेट करें।
- बिहेव में चेंज होने पर काउंसलिंग कराएं।
इस बदलते माहौल में पैरेंट्स को चाहिए कि अपने बच्चे को लेकर अलर्ट रहे। वरना दिक्कतें हो सकती है। मम्मी खासतौर से बच्चे के साथ सकरात्मक रवैये के साथ उसके पढ़ाई पर ध्यान देना होगा।
डॉ। धनंजय कुमार, साइक्लोजिस्ट

 

report by : amarendra.pandey@inext.co.in

Posted By: Inextlive