-तस्करों को पशु नीलाम करने के बाद आईवीआरआई की दूसरी बड़ी चूक उजागर

-बीमार पशुओं के दूध मांस से मनुष्य में भी बीमारी फैलने का खतरा

बरेली :

भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान आईवीआरआई में तस्करों को पशु बेचे जाने के बाद एक और गंभीर चूक उजागर हुई है। संस्थान ने गंभीर बीमारियों से ग्रसित ऐसे पशु नीलाम कर दिए, जिनके दूध और मांस दोनों का उपयोग मनुष्य के लिए खतरनाक था। मामले की शिकायत केन्द्रीय कृषि एवं पशुपालन मंत्रालय तक पहुंच चुकी है।

23 बीमार पशु कर दिए नीलाम-

पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान के लिए काम करने वाले आईवीआरआई ने पिछले पांच वर्ष में 23 ऐसे पशु नीलाम कर दिए, जिनमें गंभीर बीमारी थी। इनमें 2 गायों को खतरनाक बीमारी ब्रुसेलोसिस था। छह गाय लगातार गर्भपात होने की बीमारी से ग्रसित थी। तीन गायों की प्रजनन क्षमता खत्म हो चुकी थी व दो गायों को तो ऐसी लाइलाज बीमारी थी, जिसे आईवीआरआई के साइंटिस्ट इनवेस्टिगेट तक नहीं कर पाए थे।

बीमार पशुओं की नीलामी पर सवाल-

जो पशु गंभीर बीमार है,उसका दूध,मांस का सेवन करने या सामान्य वातावरण में मनुष्य के संपर्क में आने से गंभीर संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा है। साथ ही, कई ऐसी गाय जो प्रजनन क्षमता खत्म हो जाने के कारण दूध नहीं दे सकती थी, उन गायों को आखिर किस मकसद से नीलाम क्यों किया गया और खरीदारों का मकसद क्या रहा होगा।

अधिकतर खरीदार पशु तस्कर-

आईवीआरआई से नीलामी में पशु खरीदने वाले अधिकतर खरीदार पशु तस्करी और अवैध बूचड़खानों से जुड़े हैं। पड़ताल में खुलासा हुआ कि चुनिंदा लोग ही आईवीआरआई से नीलामी में पशु खरीदते हैं। इनमें अच्छी ब्रीड के पशु तो वास्तिवक पशु पालक खरीदते हैं, लेकिन बीमार और सामान्य नस्ल के पशु खरीदने में बरेली के आसपास के गांवों के कुछ ऐसे लोगों के नाम सबसे अधिक सामने आए जो न कृषक हैं न पशुपालक।

चार गांवों के अधिक खरीदार-

आईवीआरआई से वर्ष 2010 से 2014 के बीच प्रतिबंधित पशु खरीदने वालों में सैदपुर, कंजाबासपुर, भूरा, पीर बहोड़ा,आजमनगर और सूफी टोला के एक दर्जन ऐसे लोग शामिल हैं, जिनका पशु पालन अथवा कृषि से कोई लेना देना नहीं है। गौरतलब है कि आईवीआरआई से पशु खरीदने वाला बिहार कला निवासी तस्कर रमजानी हाल ही में पशु चोरी में पुलिस के हत्थे भी चढ़ चुका।

थारपारकर के सबसे ज्यादा खरीदार-

आईवीआरआई की पशु नीलामी में सबसे अधिक थारपारकर नस्ल की गाय नीलाम हुई है। सफेद रंग और ऊंची कद काठी होने के कारण थारपारकर पशु तस्करों की पहली पसंद है। सामान्य नस्ल होने के कारण कीमत कम होती है और वजन अधिक। चर्चा यह है कि यहां से खरीदकर तस्कर इन गायों को गोकशी के लिए बेच देते हैं। पशु तस्करी के संदेह में पकड़े जाने पर ये लोग आईवीआरआई से खरीद का सर्टिफिकेट दिखाकर कई बार पुलिस को भी चकमा दे देते हैं।

सोशल मीडिया पर बदनामी

आईवीआरआई में पशु नीलामी में धांधली का मामला एक वहीं के एक साइंटिस्ट ने सोशल मीडिया पर भी उजागर कर दिया। साइंटिस्ट भोजराज सिंह फेसबुक पर आईवीआरआई से गायों की नीलामी पर सवाल खड़े किए और गंभीर बीमारी से ग्रसित पशुओं की नियम विरूद्ध नीलामी और गलत करार दिया। उनकी इस पोस्ट पर आईवीआरआई के साइंटिस्ट समेत सैकड़ों लोग इस धांधली के खिलाफ उतर आए हैं। पूर्व साइंटिस्ट रामनरेश ने तो यहां तक लिख दिया कि धांधली का विरोध करने पर उन्हें पशु नीलामी कमेटी से हटना पड़ा था।

इनका कहना-

आईवीआईआर में पशु नीलामी में नियम-कायदों की अनदेखी बेहद चिंताजनक है। तस्करों को पशु बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए-

धीरू यादव, जिला अध्यक्ष

पीपुल्स फॉर एनिमल

आईवीआरआई में हर बीमार पशु का डाटा होता है। नीलामी के लिए कमेटी पशु का चयन करती है। खरीदार को भी उसकी डिटेल बताई जाती है। बीमारी पशु को नहीं बेचने जैसी कोई स्पेशल गाइड लाइन नहीं है।

डॉ.अमरपाल

विभागाध्यक्ष सर्जरी विभाग आईवीआरआई

Posted By: Inextlive