गजल सम्राट जगजीत सिंह ने अपना अंतिम लाइव परफॉर्मेंस देहरादून में दिया था. वहां उन्होंने आईनेक्स्ट से दिल खोलकर बातचीत की थी.


‘हुजूर आपका भी अहतराम करता चलूं, इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूं......’ उस रात दूनवासियों को जरा भी अहसास न था कि वह गजल सम्राट जगजीत सिंह के आखिरी सलाम के गवाह बन रहे हैं. खालिस उर्दू से सजी गजलों को आसान हिंदी के बोलों के द्वारा घर-घर तक पहुंचाने वाले जगजीत सिंह धीमान आज भले ही हमारे बीच न रहे हों, लेकिन दूनवासियों को वह शाम हमेशा याद आएगी. जगजीत सिंह ने दून में अपने आखिरी आयोजन में इसी गजल से कार्यक्रम का समापन किया था और शायद जिंदगी की दौड़ का भी.आखिरी कंसर्ट


ऐसा नहीं है कि जगजीत सिंह ब्रेन हैमरेज अटैक पडऩे के एक दिन पहले 20 सितंबर को दून में आयोजित कार्यक्रम में पहली बार अपनी आवाज का जादू बिखेर रहे थे. वह इससे पहले भी कई बार यहां अपनी दिलकश गजलों और बेहतरीन आवाज से लोगों को दीवाना बना चुके थे. 22 सितंबर उस सुरमयी शाम को जब दून के इंडियन पब्लिक स्कूल में एक बार फिर से जगजीत सिंह  मौजूद थे, तो किसे पता था कि इस बार वह उनसे आखिरी बार मुखातिब हो रहे हैं.

उस दिन भी जगजीत सिंह ने लोगों एकेस बढ़कर एक गजलें सुनाई. अपने करियर में कठोर संघर्षों का  दौर देख चुके जगजीत सिंह आज जिस ऊंचाई पर थे, ऐसी ऊंचाई पर किसी भी कलाकार को अभिमान हो जाना स्वाभाविक होता है. लेकिन, दूनवासी जगजीत सिंह के महज गजलों के दिवाने न थे. वह उनके स्वभाव के भी कायल थे. इसलिए तो जब दून में जगजीत सिंह के  गुजर जाने की खबर आई तो दुखी शहरवासियों के जुबान पर उनकी ही गजल ‘तू नहीं तो जिंदगी में और क्या रह जाएगा...जिंदगी जी भर कर जियोअपने आखिरी कंसर्ट से पहले हालांकि उन्हें मीडिया से मुखातिब होने का मौका कुछ पल ही मिल सका, लेकिन इन पलों में भी उन्होंने आई-नेक्स्ट से खुलकर बातचीत की. जब उनसे पूछा गया कि गजलों को आप जिंदगी से कितना करीब महसूस करते हैं तो बड़ी ही सादगी से उन्होंने जवाब दिया कि जिंदगी गजल के अलावा कुछ नहीं है.  गजल दिल की आवाज होती है और आप इसमें जिंदगी के फलसफे को सुरों के साथ बखूबी महसूस कर सकते हैं.

अपनी जिंदगी को चंद हसीन पलों के बारे में जगजीत सिंह ने कहा कि चित्रा से मुलाकात उनकी जिंदगी को वो हसीन पल है जिसकी यादों को तामउम्र अपने दिल की गहराइयों में रखूंगा. आज की गजल गायकी  पुराने जमाने की गजल "गायकी पर जगजीत ने हंसते हुए कहा था....चिठ्ठी न संदेश, जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए.....

Posted By: Kushal Mishra