सांसद धनंजय सिंह की बेरूखी ने बनाया आक्रामक 50000 वोट पाने के बाद भी हार ने किया और depressed


राजनीति में असफलताराजनीति में विफलता, सांसद पति की बेरुखी व अन्य हालात ने डॉक्टर जागृति को एकाकीपन के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया. रही सही कसर उसके पिता की सड़क हादसे में मौत ने पूरी कर दी. शादी के चार साल के अंदर जीवन में आए कई उतार-चढ़ावों के कारण उसका स्वभाव आक्रामक हो गया. वह इतनी क्रूर हो गई कि बात-बात पर अपने नौकरों की बेरहमी से पिटाई करने लगी.धनंजय नहीं सुधरे


उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में जागृति जौनपुर के रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय लड़ी थी. 50 हजार वोट मिलने के बाद भी वह हार गई. इससे वह परेशान रहने लगी. इसके बाद से ही उसके पति से संबंध बिगड़ने लगे. वह सांसद के 175, साउथ एवेन्यू, चाणक्यपुरी वाले सरकारी आवास में अकेले रहने लगी. तीन साल पहले बेटे के जन्म के बाद जागृति की दिक्कतें बढ़ गई. दबंग धनंजय सिंह जब जौनपुर से दिल्ली आते तो उनके साथ हर तरह के लोग आते थे. इससे नाखुश जागृति पति से कहती थी कि इससे उसके बेटे पर गलत प्रभाव पड़ेगा. विचारों में मतभेद के कारण सांसद ने गत जून में तलाक के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में अर्जी दायर की थी.

जिम में भी अन्य सांसद से झगडा़

बताया जाता है कि जागृति अक्सर सुबह कंस्टीट्यूशन क्लब स्थित जिम जाती थी. बेटे को साथ लेकर जिम में जाने के कारण उसका कुछ महीने पहले एक अन्य सांसद से झगड़ा हो गया था. पुलिस का कहना है कि जांच में पता चला कि जागृति पहले भी उग्र मिजाज की थी. पिटाई के दौरान नौकरों का खून निकल आने पर वह कहती थी कि उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. घर के नौकर-नौकरानी को बाहर निकलने पर सख्त मनाही थी. जब वह खुद बाहर जाती थी, तो मुख्य द्वार पर ताला जड़ देती थी.साले के घर भेजाराखी के मौत की जानकारी मिलने पर सांसद धनंजय सिंह जब जौनपुर से दिल्ली आए तो उन्होंने सबसे पहले 38 वर्षीय दूसरी नौकरानी मीना को अपने साले के घर भिजवा दिया था. उसके शरीर पर भी गर्म प्रेस से जलाने के निशान मिले हैं. राखी व मीना दोनों मुस्लिम हैं किंतु दोनों ने हिंदू नाम रख लिए थे. पुलिस ने मीना के बयान भी मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज करवा दिए हैं.

Posted By: Subhesh Sharma