वाराणसी की सेंट्रल जेल में अपराध की सजा काट रहे कैदियों की बनाई हुई साड़ी की डिमांड खाड़ी देशों से आ रही है. जेल प्रशासन की ओर से इन्हें बनारस से दूसरे देशों तक भेजने की तैयारी है.

-सेंट्रल जेल में कैदियों के हाथों तैयार सिल्क की साडि़यों की विदेशों से आ रही डिमांड

-जेल में तैयार साडि़यां खूब की जा रहीं पसंद

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VARANASI: कभी हाथों में खंजर थामने वाले अब रेशमी धागों को पिरो रहे हैं और तैयार कर रहे हैं सिल्क की साडि़यां. वो भी इतनी खूबसूरत जिस पर दुनिया फिदा है. सेंट्रल जेल में अपराध की सजा काट रहे कैदियों की बनाई हुई साड़ी की डिमांड खाड़ी देशों से आ रही है. जेल प्रशासन की ओर से इन्हें बनारस से दूसरे देशों तक भेजने की तैयारी है.

खूब की जा रहीं पसंद
कैदियों के हाथों जेल में तैयार सिल्क साडि़यों को खूब पसंद किया जा रहा है. आमतौर पर साडि़यों की सप्लाई बनारस से भारत से सभी हिस्सों में की जाती हैं लेकिन इन दिनों सऊदी अरब, बहरीन, कतर आदि देशों से भी बनारसी साडि़यों की डिमांड आ रही है. ऑर्डर पर बनारसी साडि़यां भेजी जाती है. शहर साड़ी कारोबारियों से जेल प्रशासन ने संपर्क साधा है. उसको जेल में तैयार साडि़यों को भी दिखाया जा रहा है. उनसे कहा जा रहा कि कैदियों की मेहनत को प्रमोट करने के लिए आगे आएं. जेल के अंदर तैयार की हुई साड़ी कैंपस के बाहर खुले आउटलेट पर भी बेची जाएंगी.

30 कैदी ले रहे हैं प्रशिक्षण
सेंट्रल जेल में साड़ी तैयार करने को लेकर हथकरघा स्थापित किया गया है. इस तरह की रोजगारपरक व्यवस्था करने वाला यह यूपी का पहला जेल है. आने वाले दिनों में यह सुविधा सूबे के नैनी, आगरा, बरेली आदि सेंट्रल जेल में शुरू की जाएगी.

सेंट्रल जेल बनारस प्रशासन की पहल पर 30 कैदियों को साड़ी बुनाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. तरह-तरह के तकनीक से कैदी रूबरू हो रहे हैं. आने वाले दिनों में संख्या में और भी बढ़ोत्तरी संभव है. साड़ी तैयार करने की एवज में कैदियों को वेतन भी दिए जाएंगे. तय किया गया है कि साड़ी की डिमांड अधिक होगी तो वेतन में वृद्धि भी की जाएगी. साड़ी की बुनाई-कटाई को बहुत की शिद्त के साथ कैदी सीख रहे हैं.

लांड्री में धुलेंगे चादर-पर्दे
सेंट्रल जेल में कैदियों को हुनरमंद और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल करते हुए तमाम रोजगार के केंद्र स्थापित किये जा रह हैं. शहर के नर्सिग होम, हॉस्पिटल्स, होटल आदि के चादर, पर्दे, कपड़े भी सेंट्रल जेल में धुले जाएंगे. कामर्शियल लांड्री भी सेंट्रल जेल में स्थापित की गई है. कम से कम 50 से 60 कैदी इस काम को रोजगार के रूप में करेंगे.

हथकरघा से तैयार साड़ी को भारत सहित बाहर देशों में भी भेजा जाएगा. जैन समाज की ओर से लगे हथकरघा पर कैदियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

अंबरीश गौड़, जेल अधीक्षक

सेंट्रल जेल

आउटलेट की शुभारंभ
एडीजी जेल चंद्रप्रकाश ने शनिवार की सुबह सेंट्रल जेल में आउटलेट का इनॉगरेशन किया. इस दौरान कैदियों की ओर से तैयार किए गए आचार, मुरब्बा, फर्नीचर, ब्रेड, बिस्किट, केक, दरी, चादर आदि का आउटलेट में अवलोकन किया. जेल के बाहर खुले आउटलेट में सिर्फ कैदियों के तैयार हुए प्रोडक्ट ही बेचे जाएंगे. उन्होंने कैदियों के आत्मनिर्भरता पर खुशी जाहिर की. इस दौरान आईजी जेल वीके जैन ने कहा कि कैदियों में सुधार के लिए सकारात्मक कार्यो में व्यस्त रहना बेहद जरूर है. शुभारंभ के अवसर पर जेल अधीक्षक अंबरीश गौड़, सिडबी के सह प्रबधंक राजेश खंडेलवाल, जेलर केपी सिंह, डिप्टी जेलर धीरेंद्र प्रताप सिंह आदि रहे.

Posted By: Vivek Srivastava