बोले, इच्छाओं को दासी बनाकर रखोगे तो मिलेगा सुख का सागर, रानी बनाकर रखने पर दुखों का कुंड

आज त्यागी-ब्राह्माण छात्रावास में होंगे मुनिश्री के कड़वे-प्रवचन

Meerut : क्रांतिकारी राष्ट्रसंत मुनिश्री तरुण सागर महाराज ने शनिवार को नशाखोरी पर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि मुर्दे की चिता को दी जाती है वह मुखाग्नि नहीं, बल्कि वह है जब कोई बीड़ी-सिगरेट पीता है और उसके मुख में जो अग्नि होती है। देश के युवाओं के कंधों पर स्वर्णिम भारत के निर्माण की जिम्मेदारी है। इसलिए वह ध्यान दें कि भारत का निर्माण धुएं के छल्ले उड़ाने से नहीं बल्कि कठोर परिश्रम से हो सकता है।

इच्छा के दो रूप

प्रात:कालीन बेला में मुनिश्री ने वेस्टर्न कचहरी रोड स्थित दिगंबर जैन मंदिर असौड़ा हाउस में कड़वे-प्रवचनोंकी अमृतवर्षा की। मुनिश्री ने कहा कि शिष्य ने गुरु से पूछा, गुरुदेव क्या अनंत इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर उनसे सुख पाया जा सकता है। गुरुदेव बोले, हां वत्स। इच्छा के दो रूप हैं। रानी और दासी। यदि मनुष्य इच्छा को रानी बनाकर उसकी आज्ञा में चलेगा तो वह उसे दुख के कुंड में डुबो देगी और यदि मनुष्य इच्छा को दासी बनाकर अपनी आज्ञा में रखेगा तो उसे सभी सुखों की प्राप्ति होगी। दुख आवश्यकताओं में नहीं बल्कि आकांक्षाओं में है। इससे पहले बेगमबाग गीता कॉलोनी स्थित एक गुप्ता परिवार के निज निवास पर सुबह गुरुवर आशीर्वाद देने पधारे। यहां मुनिश्री का भक्तिभाव से गुरु पूजन हुआ। बृजेंद्र जैन, जेके जैन, पूनम जैन, विपिन जैन, सुभाष जैन, राकेश जैन आदि का सहयोग रहा। प्रवक्ता सुनील जैन ने बताया कि रविवार को सुबह वेस्टर्न कचहरी रोड स्थित त्यागी-ब्राह्माण छात्रावास में मुनिश्री के कड़वे प्रवचन होंगे। क्9 मई को सुबह म्.फ्0 बजे मुनिश्री का गंगानगर के दिगंबर जैन मंदिर के लिए विहार होगा।

Posted By: Inextlive