- जल निगम भर्ती घोटाले में आजम के खिलाफ होगी एफआईआर

- जल निगम भर्ती घोटाले में एसआईटी ने मांगी एफआईआर दर्ज करने की अनुमति

- मेरठ के राशन कार्ड घोटाले की खुली जांच भी पूरी, शासन को भेजी रिपोर्ट

- सलमान खुर्शीद की पत्नी के एनजीओ के खिलाफ दाखिल होगी चार्जशीट

LUCKNOW :

योगी सरकार ने घपले और घोटाले करने वाले नेताओं, अफसरों पर कानून का शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल में हुए जल निगम भर्ती घोटाले की खुली जांच यूपी पुलिस की एसआईटी ने पूरी कर ली है और शासन से एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है। सूत्रों की मानें तो शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में पूर्व मंत्री एवं सपा के कद्दावर नेता आजम खान के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी गयी है। इसी तरह मेरठ में हुए राशन कार्ड घोटाले में भी एसआईटी ने अपनी खुली जांच पूरी करने के बाद एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू करने की अनुमति मांगी है। तीसरा अहम मामला ईओडब्ल्यू का है जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की पत्‍‌नी लुईस खुर्शीद के एनजीओ के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति मांगी गयी है।

जल निगम भर्ती घोटाला

आजम के खिलाफ होगी एफआईआर

इसके अलावा पूर्ववर्ती सपा सरकार मे जल निगम में नियमों को दरकिनार कर हुई 1300 भर्तियों की जांच के मामले में एसआईटी ने अपनी खुली जांच पूरी कर ली है। एसआईटी ने शासन को भेजे अपने पत्र में इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है। सूत्रों की मानें तो एसआईटी ने तत्कालीन नगर विकास मंत्री एवं जल निगम के अध्यक्ष आजम खां, जल निगम के एमडी पीके आसुदानी, ओएसडी मोहम्मद आफाक, चीफ इंजीनियर एके खरे और ऑनलाइन परीक्षा कराने वाले अपटेक कंपनी के अधिकारियों और कर्मचारियों आदि की भूमिका को संदेह के दायरे में रखते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू करने की अनुमति मांगी है। ध्यान रहे कि विगत 22 जनवरी को गोमतीनगर स्थित एसआईटी मुख्यालय मे आजम खान को तलब कर पूछताछ भी की गयी थी। पूछताछ में उन्होंने दावा किया था कि तत्कालीन एमडी ने उनसे धोखे से फाइलों पर दस्तखत करा लिया था। वहीं प्रमुख सचिव नगर विकास एसपी सिंह के फाइलों में दस्तखत नहीं पाए गये हैं जिससे उन्हें कुछ राहत मिली है हालांकि विवेचना में उनकी भूमिका की गहनता से पड़ताल की जाएगी।

इन पदों पर हुई थी भर्तियां

- 122 सहायक अभियंता

- 853 अवर अभियंता

- 335 नैतिक लिपिक

- 32 आशुलिपिक

मेरठ खाद्यान्न घोटाला

एसआईटी ने मांगी एफआईआर की परमिशन

- 350 करोड़ का है घोटाला

- 58 हजार फर्जी राशन कार्ड जारी किए

मेरठ में हुए खाद्यान्न घोटाले की खुली जांच के बाद एसआईटी ने शासन से तत्कालीन डीएसओ और सप्लाई विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है। एसआईटी घोटाले की अवधि के दौरान मेरठ में तैनात रहे दो डीएम बी। चंद्रकला और पंकज कुमार की भूमिका की भी जांच कर रही है। घोटाले की शिकायत भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेई ने तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव की थी पर इसका कोई फायदा नहीं हुआ। बाद में सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्होंने सीएम योगी को पूरे प्रकरण के बारे में बताया जिसके बाद मुख्यमंत्री ने एसआईटी को जांच सौंपी। एसआईटी ने इसकी खुली जांच करने के दौरान मेरठ जाकर जिला प्रशासन और संबंधित विभागों के अफसरों और कर्मचारियों के बयान भी दर्ज किए थे। जांच में सामने आया कि केवल मेरठ मंडल में ही 58 हजार फर्जी राशन कार्ड जारी किए गये और उनपर राशन भी बांट दिया गया। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सस्ती दरों पर दिए जाने वाले सरकारी राशन की लूट को अंजाम देने के लिए किया गया।

बॉक्स

उपकरण बांटने में हेराफेरी

चार्जशीट के लिए मांगी परमिशन

- 2010 का है पूरा मामला

- कैंप लगाकर 71.50 रुपए के बांटे के उपकरण

- ईओडब्ल्यू ने जून 2017 में फर्रुखाबाद में दर्ज कराई थी एफआईआर

- चार्जशीट के लिए शासन से मांगी परमिशन

- छह साल से चल रही है जांच

मामला सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद द्वारा संचालित एनजीओ डॉ। जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट का है जिसकी जांच करीब छह साल से ईओडब्ल्यू कर रही है। दरअसल इस ट्रस्ट के जरिए वर्ष 2010 में फर्रुखाबाद के कायमगंज में शिविर लगाकर विकलांगों को 71.50 लाख रुपये के उपकरण बांटे गये थे। इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा बजट दिया गया था। उपकरणों को बांटने के अभिलेखों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की शिकायत मिलने पर मंत्रालय ने इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी थी। पांच साल तक आरोपों की खुली जांच के बाद जून 2017 में फर्रुखाबाद की कायमगंज कोतवाली में ट्रस्ट के कर्मचारी प्रत्यूष शुक्ला व अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर विवेचना शुरू कर दी। विवेचना में आरोपों की पुष्टि होने पर ईओडब्ल्यू ने आरोपितों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल करने की शासन से अनुमति मांगी है। वहीं सूत्रों की मानें तो इस मामले के मुख्य आरोपी प्रत्यूष शुक्ला की मृत्यु हो चुकी है।

Posted By: Inextlive