जन औषधि केंद्र ही 'बीमार', प्राइवेट का सहारा
- 03 महीने से दवाओं की कमी
- 22 जन औषधि केंद्र हैं शहर में - 50 से ज्यादा लोग हर दिन एक औषधि केंद्र पर पहुंचते हैं - 2015 जुलाई में शुरू हुए थे जन औषधि केंद्र - पिछले तीन महीने से दवाओं की शॉर्टेज, लोगों को बाहर से खरीदनी पड़ रहीं दवाएं - मेडिसिन्स की कमी को पूरा करने के लिए बार-बार कहने के बावजूद भी नहीं की जा रही पूर्तिबरेली : बाजार से आधे दामों में लोगों को जेनेरिक दवाएं आसानी से मिल जाएं इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जन औषधि केंद्र जुलाई 2015 में शुरू किया था। केंद्र बनने के बाद लोगों का रुझान भी केंद्रों की ओर बढ़ा लेकिन आज के समय की स्थिति ये है कि यहां जरूरत की दवाओं की पिछले तीन महीने से कमी है। ट्यूज डे को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शहर के तीन जन औषधि केंद्रों की पड़ताल की तो कहीं पर दवाओं की शॉर्टेज मिली तो कहीं पर अनट्रेंड स्टाफ की वजह से लोग परेशान होते नजर आए।
केंद्र पर लटका रहता है तालाशासन की गाइड लाइन के अनुसार सरकारी अवकाश होने पर भी जन औषधि केंद्र खुले रहने का आदेश है। लेकिन टीम जब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में बने केंद्र पर पहुंची तो यहां ताला लटका मिला यहां तैनात फार्मासिस्ट को कॉल करके पता किया तो उसने खुद को बीमार बताकर फोन काट दिया।
कहीं अनट्रेंड स्टाफ भी शहर की मालियों की पुलिया पर बने केंद्र पर जब टीम पहुंची तो यहां दवाओं की संख्या भरपूर मिली लेकिन यहां तैनात फार्मासिस्ट ने बताया कि अन्य केंद्रों पर फार्मासिस्ट की जगह अनट्रेंड को तैनात कर दिया गया है। डॉक्टर के लिखे पर्चे को वह समझ नहीं पाता जिस कारण लोग परेशान हो रहे हैं। शहर में इतने जन औषधि केंद्र शहर में 22 जन औषधि केंद्र हैं। करगैना रोड, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल, डेलापीर, सौ फुटा रोड आदि स्थानों पर केंद्र बने हुए हैं। लेकिन सभी पर दवाओं की कमी है। पिछले तीन माह से नही मिली दवाएं सरकार की ओर से बीपीपीआई यानि ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया से करार किया गया है। प्रदेश भर में बने जन औषधि केंद्रों पर समय से दवाओं का उपलब्धता बनी रहे इसकी जिम्मेदारी कंपनी की है। लेकिन उदासीनता की वजह से इस ओर ध्यान नही दिया जा रहा है। प्राइवेट मेडिकल स्टोर ही सहारायहां बदायूं रोड पर जेनेरिक दवाओं के लिए एकमात्र प्राइवेट मेडिकल स्टोर है यहां के ओनर अजय सिंह सरकारी रेट पर ही जेनेरिक दवाएं दे रहे हैं। जन औषधि केंद्र पर अव्यवस्थाओं के चलते लोग उनके मेडिकल स्टोर पर आकर दवाएं परचेज कर रहे हैं।
इनकी है कमी - डॉग बाइट इंजेक्शन - ग्लूकोमीटर - सैनेटरी पैड - एंटी बॉयोटिक - डेंगू की मेडिसिन - पेन किलर दवाएं ही नहीं - मेरी तबीयत खराब है इस कारण सेंटर पर ताला लगा हुआ है। वैसे भी तीन महीने से दवाएं नहीं आई हैं। इसलिए लोगों को दवाएं नहीं मिल पाती हैं। - मनीष गोयल, जन औषधि केंद्र, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल - हमारे यहां दवाएं भरपूर है लेकिन शहर के कई सेंटर्स पर फार्मासिस्टों ने अपने जगह अनट्रेंड लड़कों को केंद्रों पर बैठा रखा है जो डाक्टर्स के पर्चे भी नहीं पढ़ पाते हैं। राहुल रस्तोगी, जन औषधि केंद्र, मालियों की पुलिया। सरकारी अवकाश पर भी केंद्र खोलने के आदेश हैं। जो भी सेंटर बंद मिला है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कुछ महीने से कंपनी के पास स्टॉक नही है जिस कारण दवाएं पहुंचने में देरी हुई है। उर्मिला वर्मा, ड्रग इंस्पेक्टर।