-अफरातफरी की भेंट चढ़ गई मुख्य सचिव की जन सुनवाई

-आठ घंटे के दौरे में पब्लिक को मिलने थे केवल आधे घंटे

ALLAHABAD: करते भी क्या, मजबूरी थी। प्रोग्राम के हिसाब से उन्हें आधे घंटे जनता-जनार्दन के बीच बिताने थे। उनकी समस्याओं को सुनना था। पब्लिक भी उम्मीद लगाए बैठी थी कि मुख्य सचिव उनकी सुनेंगे और समाधान देंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। मुख्य सचिव लेट हो गए तो पब्लिक के टाइम में कटौती कर ली गई। बीस मिनट में आधा समय अफरा-तफरी में बीत गया। इसके बाद साहब ने औपचारिकता पूरी करते हुए सभी से कागजात लिए और आश्वासन देकर चलते बने। उनकी शिकायतों का क्या होगा? ये सवाल सभी की जुबान पर था।

घंटे भर बाद पहुंचे मुख्य सचिव

मुख्य सचिव आलोक रंजन सोमवार को जिले के दौरे पर थे। प्रोग्राम के मुताबिक सुबह 11:30 बजे उन्हें एनसीजेडसीसी में पब्लिक से रूबरू होना था। जनता टाइम से पहुंच गई थी लेकिन मुख्य सचिव एक घंटे देरी से पहुंचे। मंच इस तरह से बनाया था कि वह वन बाई वन सभी की समस्याएं सुनकर निराकरण दें लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आते ही उन्होंने सभी से लाइन में लगकर अपना ज्ञापन देने को कहा। उनके आदेश देते ही सौ से सवा सौ की संख्या में पहुंची पब्लिक में अफरा-तफरी मच गई। सभी मंच की ओर भागने लगे।

पुलिस ने धकियाया, मंच से उतरना पड़ा

माहौल खराब होता देख पुलिस ने धक्का देकर पब्लिक को नीचे उतारा। खुद डीएम पी गुरु प्रसाद को भी पब्लिक को समझाने पर मजबूर होना पड़ा। ऐसे में मुख्य सचिव शासन ने सभी को अपने स्थान पर बैठने को कहा। इसके बाद वह खुद उतरकर पब्लिक के बीच पहुंचे और ज्ञापन लिया। महज दस मिनट में उन्होंने सभी से ज्ञापन लिया और आश्वासन देकर निकल गए। इस दौरान घंटों इंतजार करती पब्लिक को मायूसी ही हाथ लगी।

यहां भी चली गई लाइट

शहर में बिजली की खराब आपूर्ति का नजारा जन सुनवाई कार्यक्रम के दौरान भी देखने को मिला। जिस समय पब्लिक मंच पर चढ़ रही थी, उसी दौरान अचानक लाइट चली गई। हाल में अंधेरा छा गया। तकरीबन दो मिनट बाद लाइट आई तो प्रॉसेस शुरू हुआ। बता दें कि 12:30 बजे एनसीजेडसीसी पहुंचे मुख्य सचिव शासन बीस मिनट बाद 12:50 मिनट पर निकल गए।

इनको चाहिए इंसाफ

तेलियरगंज की कमरूल बेगम ने रोते हुए बताया कि 18 जुलाई को उनके 14 वर्षीय बेटे का मर्डर कर दिया गया। पुलिस ने कत्ल के मुख्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें छोड़ दिया। आरोपियों ने नाजायज संबंधों का खुलासा होने के डर से उनके बेटे की हत्या की।

लीडर रोड निवासी राजश्री चौरसिया ने प्रमुख सचिव शासन को ज्ञापन देकर स्टेट लैंड के मामले में सही नीति निर्धारण किए जाने की मांग की।

बक्शी बाजार निवासी नाहिद अंजुम की सरकारी नौकरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शासन को सात सप्ताह का समय दिया था। फिर भी सुनवाई नहीं हुई। इसको लेकर वह मुख्य सचिव शासन से मिलने आई थीं।

वरिष्ठ पार्षद और नगर निगम कार्यकारिणी समिति सदस्य गिरीशंकर प्रभाकर ने ज्ञापन देकर गृहकर में धारा 174ब्/क्7ब्बी के तहत छूट प्रदान किए जाने की मांग की। साथ ही विज्ञापन कर नीति, बाढ़ राहत पैकेज आदि पर भी उन्होंने ज्ञापन दिया।

Posted By: Inextlive