द्वितीय विश्‍व युद्ध के दौरान जापानी सेना ने साउथ कोरिया की जिन महिलाओं को सेक्‍स स्‍लेव बनाया था अब 75 साल बाद उसने इस पर शर्मिंदगी जाहिर की है। और कंफर्ट वोमेन के नाम से जानी जाने वाली इन महिलाओं में जीवित पीड़िताओं के लिए एक अरब येन यानि 55 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है।


सुधरेंगे जापान और साउथ कोरिया के रिश्ते अतत जापान ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान यौन दासता के लिए दक्षिण कोरिया से चल रहे विवाद के लिए माफी मांग ली है। करीब 75 साल पहले के 'यौन दासता' मामले में  सोमवार को जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने माफी मांगी है। इसके बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच दूरियां कम होगी और संबंधों में सुधार आयेगा। दरसल 1910 से 45 तक कोरिया जापान का उपनिवेश था। जिसके लिए उसने सोमवार को आधिकारिक तौर पर इस पर माफी मांगी है। इसी समय द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने करीब दो लाख कोरियाई महिलाओं को यौन दासियों के रूप में बंधक रहा था इस पर भी दोनों देशों के बीच सोमवार को एक समझौता हुआ है।जापानी विदेश मंत्री ने सुनाया संदेश
जापान के विदेश मंत्री फुमोई किशिदा ने अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष युन बयुंग से के साथ एक बैठक के बाद संयुक्त पत्रकार सम्मेलन में जापानी प्रधानमंत्री का बयान पढ़ कर सुनाया। जिसमें उन्होंने मानसिक और शारीरिक तौर पर यातना झेल चुके लोगों और जीवित बची पीडि़ताओं से माफी मांगी और अफसोस जाहिर किया है। साथ ही ए मुआवजे के तौर पर एक अरब येन करीब 55 करोड़ राशि का सहयोग प्रदान करने के लिए कहा है। हालाकि उन्होंने कहा कि ये मुआवजा नहीं है ये अफसोस जाहिर करने का तरीका है। जापानी सरकार ने ली जिम्मेदारी दक्षिण कोरियाई मीडिया के मुताबिक इस संयुक्त बयान में जपानी विदेश मंत्री किशिदा ने कहा कि कंफर्ट वूमेन एक ऐसा मामला है, जिसमें सैनिकों ने महिलाओं के सम्मान और गरिमा पर गहरा दाग लगाया था और अब जापानी सरकार ने इसकी जिम्मेदारी ली है। हालाकि दक्षिण कोरिया द्वारा पंजीकृत करायी गयी 238 पीड़िताओं में से अब ऐसी  सिर्फ 46 ही जीवित बची हैं। यह भी कहा गया है कि युद्ध के समय के मानवाधिकारों के मुद्दे को अलग से सुलझाया जाना चाहिए।

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Posted By: Molly Seth