जापान ने 2020 में होने वाले ओलंपिक उद्धाटन समारोह को यादगार बनाने के लिए अभी से जोरदार तैयारियां शुरु कर दी हैं। 2020 में होने वाले ओलंपिक की मेजबानी कर रहा जापान इस समारोह को और भी खास बनाना चाहता है। इसलिए जापान ने चार साल बाद होने वाले ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में उल्‍का पिंडों की बरसात की तैयारी की है। जिसे देखना अपने आप में एक अलग अनुभव होगा।


120 मील की दूरी से भी देख सकेंगे उल्का पिंडो की बारिशजापान ने आकाश से उल्का पिंडो की बरसात का यह काम स्टार एली नाम की कंपनी को दे रखा है। कंपनी ने बताया कि हम मनुष्य द्वारा बनाई गई उल्का पिंड फेकने वाली मशीन को सेटेलाइट के जरिए आकाश में भेजेंगे। इससे निकलने वाले उल्का पिंड पूरे टोक्यो में दिखाई देंगे। इसे बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि इस मशीन से निकलने वाले उल्का पिंड आकाश में 120 मील तक देखे जा सकेंगे। सेटेलाइट धरती से 30 से 50 मील की दूरी से इन ज्वलनशील गोलों को लॉन्च करेगा जो वायुमंडल में प्रवेश करते ही लाल पीले हरे नीले गुलाबी रंग में बदल जाएंगे।रंग-बिरंगे उल्का पिंड गिरेंगे आसमान से
कंपनी ने अपनी वेबसाइट में जानकारी देते हुए लिखा है यह बिल्कुल प्रकृतिक प्रक्रिया होगी। जैसे आसमान से तारे टूटते नजर आते हैं यह ठीक वैसा ही दिखेगा। इसमे कुछ मिलीमीटर के गोले जो धरती के पर्यावरण में आते ही तेज चमक के साथ जलेंगे। इस प्रक्रिया को प्लाज्मा इमीशन के नाम से जाना जाता है। हमारा लक्ष्य इस प्रक्रिया को आर्टीफीशियल तरीके से करना है। एक माइक्रो सेटेलाइट में ज्वलनशील गोले जिनकी संख्या लगभग 5 हजार होगी आकाश में भेजे जाएंगे। यह गोले अलग-अलग पदार्थो एवं तत्वों से बने हैं जो विभिन्न रंगो में जलेंगे। पोटेशियम बैगनी रंग में जलता है सीसियम नीले रंग में जलता है और कॉपर हरे रंग में चमक के साथ जलता है। दो सेटेलाइट की ली जाएगी मददइस स्काई केनवस प्रोजेक्ट में जो उल्का पिंड आकाश से गिरेंगे वो ठीक असली उल्का पिंडो की तरह नजर आएंगे। स्टार ऐली ने बताया कि अभी इस पर टेस्टिंग की जा रही है। इन गोलों को एक वैक्यूम चैंबर में सुपरसोनिक हॉट गैस के साथ रखा जाएगा। गैसों को ठीक उसी तरह बनाया गया है जिससे गोले धरती के पर्यावरण के संपर्क में आते ही ठीक उल्का पिडों की तरह गिरेंगे। अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक रहा तो यह नजारा टोक्यो की तीस लाख जनता देखेगी। यह इलाका 400 गुना बड़ा होगा उस आतिशबाजी से जो 500 मीटर के इलाके में काम करती है। कंपनी ने बताया कि वह अपनी पहली सेटेलाइट 2017 में लॉन्च करेगी और दूसरी सेटेलाइट 2018 में लॉन्च करेगा।

Posted By: Prabha Punj Mishra