-सजावट और पूजा पाठ के साथ ही आयुर्वेद में भी जारुल का महत्व

साइंटिफिक नेम-लेगरस्ट्रोइमिया स्पेशियोसा

लोकल नेम - जारुल

20 साल पुराने पेड़ रामपुर गार्डन में लगे हैं

15-20 फुट तक ऊंचा होता है पेड़

: अर्थ डे से शुरू हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के कैंपेन में आज हम आपको विलुप्त हो रहे जारुल के पेड़ के बारे में बता रहे हैं. खूबसूरत फूलों के कारण इसे प्राइड ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. बरेली में रामपुर गार्डन में ही जारुल के कुछ पेड़ लगे हैं.

ब्लड शुगर कंट्रोल करने में कारगर

बरेली कॉलेज के बॉटनी डिपार्टमेंट के हेड प्रोफेसर आलोक खरे के अनुसार जारुल की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पीने से ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है. फिलीपींस स्वास्थ्य विभाग ने इसे 69 हर्बल जड़ी बूटी वाले पौधों की श्रेणी में रखा है.

धार्मिक महत्व

बौद्ध धर्म में जारुल को ज्ञान प्राप्ति के पेड़ के रूप में माना जाता है. इसके फूलों का इस्तेमाल पूजा पाठ में किया जाता है. इसके चलते इसे सैक्रेड वृक्षों की श्रेणी में रखा गया है.

Posted By: Radhika Lala