Mathura: जवाहरबाग खाली कराने के दौरान समाने आए भयानक गदर के बाद चारों तरफ से एक ही अवाज उठ रही है कि ये सत्याग्रही नहीं थे. ऑपरेशन जवाहर बाग के तीसरे दिन शनिवार को अंदर से मिल रहे अवैध हथियारों को लेकर अब पुलिस भी दबी जुबान में इन्हें नक्सली ही कह रही है. यहां तक कि जन आवाज के केंद्र में भी ये नक्सली ही बताए जा रहे हैं. जो जवाहरबाग से भाग कर जिले के विभिन्न हिस्सों में फैल गए है. सुरक्षा कमांडर के इशारे पर बड़ी कार्रवाई की स्थिति में शरण लेने के लिए पहले ही सुरक्षित ठिकाने बना लिए थे.


संरक्षण देने वालों का सुराग नहीं लगा पाई पुलिस और खुफिया एजेंसी


स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह और सुभाष सेना का स्वयं भू मुखिया रामवृक्ष यादव, सुरक्षा कमांडर चंदनवन बोस, वीरेश यादव और राकेश गुप्ता को मिल रहे संरक्षण का सुराग दो साल में पुलिस और खुफिया एजेंसी भी तलाश नहीं कर पाई थी। जवाहर बाग पर कब्जा करने के बाद ही शहर और गांव देहात में अपने नये ठिकाने बनाना शुरू कर दिया था। वह जानता था कि जवाहर बाग को खाली कराने के लिए अगर कोई बड़ी कार्रवाई की गई तो उसे भागने के लिए सुरक्षित ठिकाने की जरुरत होगी। इसके लिए उसने अपने खास लोगों का कामकाज के लिए शहर और गांव देहातों में भेज दिया था। वे होटल, मॉल, ढाबे और ड्राइवर बनकर काम रहे थे और शहरी क्षेत्र की कॉलोनियों में किराए के मकान लेकर रह रहे थे। जवाहर बाग को खाली कराए जाने के लिए जनता सड़कों पर आंदोलन कर रही थी। उस दौरान थाना राया क्षेत्र के गांव आयराखेड़ा में एक दर्जन से अधिक कथित सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर किया था। ऑपरेशन जवाहर बाग के रिहर्सल में पुलिस पर जिस तरीक से कथित सत्याग्रहियों ने हमला किया और फिर अपने तंबू-डेरों में आग लगाकर भागे। उसको लेकर जिले भर में हमलावरों को सत्याग्रही न मानकर नक्सली होने की जन आवाज सुनाई दे रही है।

घोषित किया था पांच-पांच हजार रुपये ईनाम


इसी बीच ऑपरेशन के तीसरे दिन शनिवार तक कथित सत्याग्रहियों का नेता रामवृक्ष यादव, कमांडर चंदनबोस, वीरेश यादव और राकेश गुप्ता की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। न ही इसकी अधिकारिक पुष्टि की जा रही है। यही वजह है कि पुलिस ने शनिवार चारों की गिरफ्तारी पर पांच-पांच हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया है। संभावना यह जाहिर की जा रही है कि जवाहर बाग में कार्रवाई के दौरान ये चारों भेष बदलकर भाग गए और पहले से बनाए अपने सुरक्षित ठिकाने पर शरण लिए हुए हैं। सूत्रों के अनुसार, जवाहर बाग से जब हमलावर अपने परिवारों के साथ भाग रहे थे, तब पुलिस की दो टीमें इनकी तलाश के लिए लगाई थी, जो उन्हें नहीं मिले थे। अभी भी जवाहर बाग से भगाए गए लोग जिले में छिपे हुए हैं। कुछ सूत्र रामवृक्ष के जवाहरबाग में लगी आग में ही जलकर मर जाने की आशंका जता रहे हैँ। ऑपरेशन के दौरान मौजूद पुलिसकर्मी भी इस बाबत कुछ भी कह पाने से कतरा रहे हैँ। रामवृक्ष का चेहरा भले ही अनजान न हो, मगर ऑपरेशन से पहले बुधवार को उसने अपनी दाढ़ी कटवा दी थी। ऐसे में उसके अन्य कथित सत्याग्रहियों की तरह से भाग जाने की भी आशंका है।

Posted By: Inextlive