Mathura: जवाहर बाग में चोरी गाली और छेड़छाड़ के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान था. पहले तो कमांडर ही हर समस्या को हैंडल करता था लेकिन बात न बनने पर दोषी को रामवृक्ष के सामने पेश किया जाता था. इसी के बाद तीन बीड़ी पीने के बाद दोषी का फैसला कर दिया जाता था. उसके फैसले को कोई काट नहीं सकता था. आलाकमान के हुक्म को सर आंखों पर रखा जाता था. दोषी होने पर रामवृक्ष ने अपने बेटे को भी सजा दी थी.

हर दोष की अलग सजा
जवाहर बाग में रहने वाले बताते हैं कि जवाहर बाग में रामवृक्ष का कड़ा शासन था। दोषी को छोड़ा नहीं जाता था। पहले उससे बात की जाती थी। न मानने पर पिटाई होती थी। इस पर भी न मानने पर जवाहर बाग से घर का रास्ता दिखा दिया जाता था फिर वह कभी भी सेना में शामिल नहीं हो पाता था। इसी के चलते वहां पर सभी लोग बच कर काम करते थे।

 

गांजा पीते हुए पाए गए थे तीन युवक
जवाहर बाग में यदि कोई फल की चोरी करे या फिर किसी लड़की से छेड़छाड़ या फिर अधिकारियों से गाली-गलौज इसके लिए इसी सजा का प्रावधान था। एक घायल ने बताया कि एक बार बाग में दो तीन लोग गांजा पीते हुए पाए गए। इस बात पर उनकी बुरी तरह से पिटाई की गई थी। इसके बाद वहां पर किसी की नशा करने की हिम्मत नहीं हुई।

 

तीसरी बीड़ी पर हो जाता था फैसला
किसी भी मामले में जब कमांडर कुछ नहीं कर पाता था तो दोषी को रामवृक्ष के सामने पेश किया जाता था। रामवृक्ष का फैसला करने का स्टाइल बहुत ही अलग था। वह बीड़ी निकालता था और उसे सुलगा लेता था पहली बीड़ी खत्म होने पर दोषी को पेश कर बात की जाती थी। इसके बाद न मानने पर दूसरी बीड़ी सुलगा कर दोषी को समझाया जाता था। इसके बाद भी न मानने पर जूते, चप्पल व डंडे से पिटाई होती थी। इस पर भी न माना तो उसे जवाहर बाग से बाहर कर दिया जाता था।

 

अपने बेटे की भी पिटाई करवा दी
रामवृक्ष कभी खुद किसी को हाथ नहीं लगाता था बल्कि दूसरों से पिटाई करवाता था। छेड़छाड़ जैसे मामलों पर वह लड़कियों से भी पिटाई करवा देता था। एक बार एक अधिकारी को उसके बेटे ने गाली दे दी। इसकी शिकायत रामवृक्ष से की गई तो उसने दूसरे युवक से बेटे की पिटाई करवाई।

Posted By: Inextlive