मथुरा: ऑपरेशन जवाहर बाग में शहीद हुए एसओ फरह संतोष कुमार यादव के कंधे ही घर-परिवार का भार था। जौनपुर के थाना सुजानगंज क्षेत्र के गांव केवटली से अपने बड़े भाई का शव लेने आए रायसाहब यादव ने बताया कि उनके बड़े भाई संतोष कुमार ही घर के मुखिया थे। सबसे बड़े भाई अजय कुमार बचपन से ही दिव्यांग हैं और वे बोल भी नहीं पाते। उनकी देखभाल और मेरी पढ़ाई का दायित्व भी संतोष संभाल रहे थे। सात-आठ साल पहले पिता का निधन हो गया था। तभी से संतोष कुमार पर परिवार की जिम्मेदारियां आ गई थी, जिन्हें परिवार के मुखिया की तरह निभा रहे थे। आज उनका भाई शहीद हो गया और परिवार बड़े संकट में फंस गया। शहीद एसओ संतोष कुमार का बड़ा पुत्र निखिल पंद्रह साल और बेटी श्रेया दस साल की है। रायसाहब का कहना था कि भइया बच्चों की पढ़ाई लिखाई के लिए आगरा में कैंट के समीप सरकारी मकान में रह थे। टीवी चैनल से उन्हें अपने भाई के शहीद होने की जानकारी मिली थी। 16 दिन में ही जीता फरह वालों का दिल संतोष कुमार यादव ने महज 16 दिन पहले ही फरह एसओ की कुर्सी संभाली थी। मगर, उनके सहयोगी व्यवहार की वजह से इतने कम समय में ही क्षेत्रवासी उनके मुरीद हो गए थे। उनकी शहादत की खबर मिलने पर क्षेत्र के लोगों की आंखें नम थीं।

Posted By: Inextlive