- प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी मेरठ में शहीद स्मारक की नींव

-स्वतंत्रता संग्राम म्युजियम ने बढ़ा दी शहीद स्मारक की रौनक

-विभागीय उपेक्षा का शिकार है ऐतिहासिक धरोहर को सजाए स्मारक

Meerut: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं। जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 100वीं वर्षगांठ पर 15 अगस्त 1957 को शहीद स्मारक का शिलान्यास किया था। यह स्मारक उन नाम-अनाम शहीदों को समर्पित है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। शहीद स्मारक परिसर में ही राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय और शहीद मंगल पांडे की मूर्ति स्थापित है।

खास है युद्ध स्मारक

मेरठ में बना शहीद स्मारक सबसे पुराने युद्ध स्मारकों में से एक है। सफेद मार्बल से बना यह स्मारक 30 मीटर ऊंचा है और इसका निर्माण युद्ध में शहीद हुए भारतीय सिपाहियों, नाम-अनाम शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए किया गया था। विशेषकर इसका संबंध 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई से है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौके पर काफी लोग इस स्मारक पर पहुंचते हैं और देश के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देते हैं। राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय अध्यक्ष डॉ। मनोज कुमार गौतम का कहना है कि तत्कालीन पीएम नेहरू से जब स्मारक का शिलापट स्थापित करने के लिए कहा गया तो उन्होंने इनकार कर दिया और कहा कि यहां हमारे नाम का पत्थर नहीं लेगेगा। शहीद स्मारक की स्थापना के बाद यहां प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पांडे की मूर्ति की स्थापना की गई, यहां शहर के कुछ सामाजिक लोगों ने बैरकपुर (कोलकाता) से ईट-मिट्टी लाकर मूर्ति स्थल पर रखा था।

संग्रहालय समाएं है इतिहास

राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की मनोरम इमारत अपने भीतर 1857 की क्रांति में मेरठ तथा भारत में घटित घटनाओं को संजोए हुए है। इसके अतिरिक्त यहां मेरठ क्षेत्र के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी यादों को एकत्रित कर उन्हें संजोने का कार्य चल रहा है। पुरातात्विक संपदाओं के संग्रह का कार्य भी यहां चल रहा है। एक पुस्तकालय भी है जिसमें आजादी की लड़ाई से जुड़ी किताबों का एक संग्रह तैयार किया गया है। आजादी की लड़ाई तथा उस दौरान 'नव भारत के निर्माण' को लेकर भारत के क्रांतिकारी नेताओं के बलिदान के विषय में समय-समय पर गोष्ठियां भी यहां आयोजित होती हैं। राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय का औपचारिक लोकापर्ण प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150वीं वर्षगांठ पर 10 मई 2007 को किया गया था। संग्रहालय में 'द लाइट हाउस' साप्ताहिक पत्र की दुर्लभ प्रतियां हैं। मेरठ से वर्ष 1949, 1950, 1952, 1953 में प्रकाशित अंग्रेजी के इस पत्र में तत्कालीन भारत के अलावा मेरठ की तमाम तस्वीरें समाहित हैं। इंडियन नेशनल आर्मी के सिपाहियों की वर्दी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस के दुर्लभ चित्र, भारत के महापुरुषों पर जारी डाक टिकट, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 को जारी डाक टिकट पर संग्रह में उपलब्ध है।

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राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय में स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास के साथ ही साथ सांस्कृतिक विरासत का संजोने का प्रयास निरंतर जारी है। हम सभी नागरिकों से आह्वान करते हैं कि हम अपनी विरासत को जाने-पहचाने। शहीद स्मारक स्मारक देश की प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारतों में स्थान रखता है।

डॉ। मनोज कुमार गौतम, अध्यक्ष, राजकीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय, मेरठ

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मेरठ एक क्रांतिधरा, हमें अपने शहर पर बहुत ही गर्व है। ये वो शहर है जहां से क्रांति की लड़ाई शुरु हुई थी, सदियों से हमारा शहर अपनी सुंदरता को सजोए हुए है, आज भी यहां का कालीपलटन मंदिर क्रांति स्थल के नाम से जाना जाता है।

-ललतेश सिंघल, सदर निवासी

Posted By: Inextlive