- मदरसों में पढ़ रहे बच्चे एनआईओएस से करेंगे पढ़ाई

- दीनी तालीम के साथ ही ओपन बोर्ड से करेंगे पढ़ाई

- एग्जाम से लेकर स्टडी मटीरियल तक सभी का सरकार उठा रही खर्च

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DEHRADUN: खुदा की इबादत और दीनी तालीम लेकर हाफिज, फाजिल, मुफ्ती या आलिम बनाने के साथ ही मदरसा इंजीनियर और डॉक्टरी जैसे पेशों के लिए भी राह देगा। इसके लिए मदरसों में एनआईओएस खासतौर पर काम भी कर रहा है। एनआईओएस टेंथ और ट्वेल्थ लेवल पर भी स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एजुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूईएम) प्रोग्राम के जरिए मदरसों में मुफ्त शिक्षा प्रदान करेगा।

रुड़की मदरसे में खुला स्टडी सेंटर

मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे अब दीनी तालीम के साथ ही एनआईओएस से टेंथ और ट्वेल्थ भी कर सकते हैं। अब तक मदरसों से प्राप्त तालीम के आधार पर किसी कॉम्पिटीशन के लिए बच्चे तैयार नहीं हो पाते थे, लेकिन अब डिफरेंट सब्जेक्ट्स में सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी कर सकेंगे। एनआईओएस बीते दो साल से इस मुहिम पर कार्य कर रहा है। बीते दो सालों पहले एनआईओएस से जहां केवल तीन मदरसे जुड़े थे। वहीं अब वह बढ़कर एक दर्जन हो चुके हैं। देहरादून आसपास के इलाकों की बात करें तो यहां चार से पांच मदरसे दीनी तालीम के साथ एनआईओएस के प्रोग्राम संचालित कर रहे हैं। रुड़की के मदरसे में स्ट्डी सेंटर भी खोला जा चुका है जबकि उधमसिंह नगर में अभी कुछ मदरसों में खोले जाने बाकी हैं।

मॉर्डन एजुकेशन से जोड़ने की पहल

दरअसल दीनी तालीम के बाद अवसर सीमित होते हैं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार ने दीनी तालीम के साथ ही स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वॉलिटी एलुकेशन इन मदरसा (एसपीक्यूईएम) मदरसों में शुरू करने की योजना बनाई है। मदरसों को मॉर्डन एजुकेशन से जोड़ने के इस प्रयास के चलते ही स्टेट में मदरसों में एनआईओएस के स्टडी सेंटर्स खोले जा रहे हैं।

हायर एजुकेशन का मिलेगा मौका

अभी तक देखने में आया कि दीनी तालीम लेने के बाद बच्चे के पास कोई दूसरे विकल्प नहीं खुल पाते थे। एनआईओएस के रीजनल डायरेक्टर प्रदीप कुमार रावत के मुताबिक ओपन स्कूलिंग एजुकेशन सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है। ओपन से शिक्षा प्राप्त करने के बाद बच्चा किसी भी कॉम्पिटीशन में पार्टीसिपेट कर सकता है। एनआईओएस की पढ़ाई के जरिए स्टूडेंट्स जेईई और नीट जैसी परीक्षाओं में भी अप्लाई कर सकते हैं। जबकि दीनी तालीम में ऐसे मौके नहीं मिल पाते थे। अब इस पहल के बाद वह दीनी तालीम तो प्राप्त करेंगे ही साथ ही मॉर्डन एजुकेशन लेने से वह ऐसे कॉम्पिटीटिव एग्जाम्स या जॉब्स के लिए भी भागीदारी कर सकेंगे।

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सेकेंडरी लेवल पर प्रदेश भर में तकरीबन क्ख् मदरसों में स्ट्डी सेंटर्स खोले जा चुके हैं। मदरसों में इसे लेकर काफी जागरूकता है। इसी लिए लगातार इस संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। हमारी तरफ से कोई सीमा तय नहीं की गई है। मदरसे अपनी इच्छा से कभी भी जुड़ सकते है।

---- प्रदीप कुमार रावत, रीजनल डायरेक्टर, एनआईओएस

Posted By: Inextlive